10. 'जीवन- सुधा' में अलंकार है
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क. अनुप्रास
O ख. श्लेष
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ग. उपमा
घ. रूपक
Answers
जीवन- सुधा' में रूपक अलंकार है।
- जब वाक्य में उपमेय और उपमान में निषेध-रहित आरोप प्रकट हो तथा दोनों में कोई अंतर नहीं दिखाई दे , वहां रूपक अलंकार का प्रयोग होता है।
- दिए गए उदाहरण :- 'जीवन-सुधा' में जीवन को सुधा (अमृत) के सामन लिखिने के स्थान पर जीवन को ही सुधा बताया है। क्योंकि दोनों अभिन्न है, अतः यहाँ रूपक अलंकार है।
जीवन- सुधा' में अलंकार है
सही जवाब है....
(ग) रूपक अलंकार
‘जीवन सुधा’ में रूपक अलंकार आएगा। रूपक अलंकार की परिभाषा के अनुसार जब उपमेय पर ही उपमान का आरोपण कर दिया जाए अर्थात उपमेय और उपमान के बीच के भेद को मिटाते हुए दोनों में अभिन्नता दर्शाई जाए, तब वहां पर ‘रूपक अलंकार’ प्रकट होता है।
रूपक अलंकार अर्थालंकारों में से एक अलंकार होता है। यहाँ पर उपमेय और उपमान के बीच कोई भी अंतर प्रदर्शित नहीं किया जाता है।
ऊपर दिये गए शब्द में ‘जीवन-सुधा’ में ‘जीवन’ उपमेय पर ‘सुधा’ उपमान का आरोपण कर दिया गया है और दोनों के बीच की अभिन्नता मिटा दी गई है अर्थात जीवन को सुधा बता दिया गया है, इसलिए यहां पर रूपक अलंकार है।
रूपक अलंकार के कुछ उदाहरण, जैसे...
चंद्रिका-चादर
राम रतन-धन
शशि मुख
मन सागर
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