10. जब खाएगा बड़े-बड़े कौर, तब पाएगा दुनिया में ठौर" यह कथन कौन किससे और कब कह रहा था।
Answers
Answer:
वह बाबू जी कहने लगती-आप तो चार-चार दाने के कौर बच्चे के मुँह में देते जाते हैं; इससे वह थोड़ा खाने पर भी समझ लेता है कि हम बहुत खा गए; आप खिलाने का ढंग नहीं जानते-बच्चे को भर-मुँह कौर खिलाना चाहिए। जब खाएगा बड़े-बड़े कौर, तब पाएगा दुनिया में ठौर (स्थान, अवसर) । -देखिए, मैं खिलाती हूँ।
Explanation:
please mark the brainliest and thanks
Answer:
माता अपने पुत्र को इस भाव से खिलाती थी कि उन्हें लगता था कि मर्द बच्चों को खाना खिलाने का ढंग नहीं जानते। बच्चों का पेट तो माँ के हाथ से खाने पर ही भरता है भोलानाथ का पेट भरा हुआ होने पर भी वह अलग-अलग पक्षियों के नाम लेकर दही-चावल के बड़े-बड़े कौर उसके मुँह में डालकर उसे यह कहती कि जल्दी से खा लो नहीं तो पक्षी उड़ जाएंगे और बच्चा उनके उड़ने से पहले खा लेता। माँ के अनुसार बच्चा बड़े-बड़े कौर खाकर ही दुनिया में अपना एक निश्चित स्थान बना पाएगा। वे अपने पति से कहती है कि आप तो छोटे-छोटे कौर बनाकर बच्चे के मुँह में देते हैं, इससे थोड़ा सा खाकर ही बच्चा सोच लेता है कि उसने बहुत खा लिया और उसका पेट भर गया। माता का मन ममता से परिपूर्ण होता। इससे हम यह शिक्षा ग्रहण करते हैं कि माँ का मन बड़ा ही कोमल और ममता से भरा हुआ होता है। उसका मन तब तक सन्तुष्ट नहीं होता है जब तक कि वह अपने बच्चे को अपने हाथों से न खिला ले। अतः हमें भी अपनी माँ का उसी प्रकार ध्यान रखना चाहिए जिस प्रकार माँ हमारा ध्यान करती है।
Explanation:
please give thanks to all my answer and please mark as brilliant and please f-o-l-l-o-w m-e