10. कबीर के दोहे सारांश
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इस कबीर के दोहे में कबीरदास कहते हैं कि कबीर का किसी से ना प्रेम है न द्वेष है। कबीर को इन सब चीजों से क्या लेना वह तो ईश्वर की आराधना में निकला है ईश्वर की आराधना इन सब से परे है। कबीर सबकी खैर सबकी सलामती मांगता है। सभी सलामत रहे सभी सुखी रहें कबीर का किसी से दोस्ती नहीं है और ना ही किसी से बैर है।
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