10 lines about coconut trees in hindi
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नारियल का दरख़्त हिन्दुस्तान के बोहट से अलाकों मे उगाया जाता हे. सुबसे ज़डा नारियल कर्नाटका, तमिल नाडु, केरला, और गोआ मे उगाया जाता हे.
उत्तर राजे मे नारियल बोहट कम उगता हे, फिर भी अस्साम और वेस्ट बंगाल मे भी नारियल मिल जाता हे.
नारियल के दरख़्ते के बोहट से फ़ायदे हैं.
नारियल का फल सेहत के लिए बोहट अछा होता हे और खाने के इलावा इसका पानी भी बोहट शुक से पिया जाता हे.
इसकी खाल से लोग रासी और मटके भी बनाते हैं. इसकी खाल लकृी का भी काम कर लेटी हे.
दक्षिण हिन्दुस्तान मे नारियल का टेयल भी बोहट इस्तीमल होता हे, जैसे के खाने मे और सर पेर लगाने के लिए.
दक्षिण हिन्दुस्तान संसरिकति और प्रांपरा मे नारियल का बोहट बरा भोमिका हे.
दूण्या का सब से बरा नारियल उत्पादन इंडोनेषिया मे होता हे और उसके बाद फिल्लीपीनेस मे. हिन्दुस्तान दूण्या के तीसरे सूब से बारे नारियल उत्पंदान देशो मे आता हे.
संसरिकीर्ट मे नारियल के दरख़्त को 'कल्पा वृक्षा' कहते हैं, यानी वो दर्दखत को दूने की हर ज़रूरत पॉर्री करता हे
उत्तर राजे मे नारियल बोहट कम उगता हे, फिर भी अस्साम और वेस्ट बंगाल मे भी नारियल मिल जाता हे.
नारियल के दरख़्ते के बोहट से फ़ायदे हैं.
नारियल का फल सेहत के लिए बोहट अछा होता हे और खाने के इलावा इसका पानी भी बोहट शुक से पिया जाता हे.
इसकी खाल से लोग रासी और मटके भी बनाते हैं. इसकी खाल लकृी का भी काम कर लेटी हे.
दक्षिण हिन्दुस्तान मे नारियल का टेयल भी बोहट इस्तीमल होता हे, जैसे के खाने मे और सर पेर लगाने के लिए.
दक्षिण हिन्दुस्तान संसरिकति और प्रांपरा मे नारियल का बोहट बरा भोमिका हे.
दूण्या का सब से बरा नारियल उत्पादन इंडोनेषिया मे होता हे और उसके बाद फिल्लीपीनेस मे. हिन्दुस्तान दूण्या के तीसरे सूब से बारे नारियल उत्पंदान देशो मे आता हे.
संसरिकीर्ट मे नारियल के दरख़्त को 'कल्पा वृक्षा' कहते हैं, यानी वो दर्दखत को दूने की हर ज़रूरत पॉर्री करता हे
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नारियल के पेड़
नारियल का पेड़ एक बहु उपयोगी, एक बीज वाला, तथा सालों साल जिंदा रहने वाला पेड़ है। यह ऐसा पेड़ है जो जीवन के लिए आवश्यक चीजों को हमें प्रदान करता है। यह पेड़ लगभग 100 वर्षों तक जीवित रहते हैं और प्रतिवर्ष 80 से 100 नारियल देते हैं। यह पेड़ 20 से 30 मीटर ऊँचा तथा पूरी तरह से सुडौल होता है। इसका तना लंबा और शाखा रहित होता है। नारियल के पेड़ समुद्र के किनारे या नमकीन जगह पर पाये जाते हैं। नारियल के फल का उपयोग हिन्दूओं के धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाता है। नारियल के उत्पादन में पूरे विश्व में भारत दूसरे स्थान पर है।
इस पेड़ का हर अंक हिस्सा किसी न किसी काम में आता है। इसका धड़ मकानों की धरन, फर्नीचर आदि बनाने और जलावन के काम आता है, पत्तों से पंखे, टोकरियाँ, चटाइयाँ आदि बनती हैं और ये छतों के छाजन में भी प्रयुक्त होते हैं। नारियल के फलों का पानी पीया जाता है जो पचने में हल्का, प्यास बुझाने वाला, अग्निप्रदीपक, वीर्यवर्धक तथा मूत्र संस्थान के लिए बहुत उपयोगी होता है। फलों की गरी खाई जाती है और उसे सुखाकर 'कोपरा' भी प्राप्त किया जाता हैं, जिससे तेल निकाला जाता है। यह तेल खाने, साबुन बनाने, वनस्पति तैयार करने और अंगराग में बड़ा ही उपयुक्त है।Similar questions
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