Hindi, asked by ashwanikumar3232, 11 months ago

10 lines about gopal krishna gokhale in hindi

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Answered by Anonymous
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Answer:

गोपाल कृष्ण गोखले का जन्म 9 मई 1866 को महाराष्ट्र में हुआ था।  

उनके पिता क्लर्क कृष्ण राव पेशे से क्‍लर्क थे।  

महादेव गोविंद रानाडे को गोखले का  गुरु माना जाता है।  

गोखले उदारवादी होने के साथ-साथ सच्चे राष्ट्रवादी भी थे।  

महात्मा गाँधी, गोखले को अपना राजनितिक गुरु मानते थे।  

गोपाल कृष्ण गोखले को भारत का 'ग्लेडस्टोन' कहा जाता है।  

1889 में गोपाल कृष्ण गोखले  कांग्रेस के सदस्य बन गए।  

गोपाल कृष्ण गोखले नरम दल के कांग्रेसी नेता थे।  

वे पाश्चात्य शिक्षा को भारत के लिए वरदान मानते थे।  

वे हिंदू–मुस्लिम एकता को भारत के लिए कल्याणकारी मानते थे।  

गोखले ने अपने जीवन को राष्ट्र के कल्याण के लिए समर्पित किया।  

गोपाल कृष्ण गोखले भारत के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी एवं सुधारक थे।  

उन्होंने देश में व्याप्त छुआछूत और जातिवाद का विरोध किया।  

1902 ई. में उन्हें 'इम्पीरियल लेजिस्लेटिव काउन्सिल' का सदस्य चुना गया।  

1905 ई. में उन्होंने सर्वेन्ट्स ऑफ इंडिया सोसायटी की स्थापना की।  

19 फ़रवरी 1915 को गोपालकृष्ण गोखले इस संसार से विदा हो गए।

Explanation:

Answered by Anonymous
13

Answer:

Explanation:

गोपाल कृष्ण गोखले का जन्म 9 मई 1866 को महाराष्ट्र में हुआ था।  

उनके पिता क्लर्क कृष्ण राव पेशे से क्‍लर्क थे।  

महादेव गोविंद रानाडे को गोखले का  गुरु माना जाता है।  

गोखले उदारवादी होने के साथ-साथ सच्चे राष्ट्रवादी भी थे।  

महात्मा गाँधी, गोखले को अपना राजनितिक गुरु मानते थे।  

गोपाल कृष्ण गोखले को भारत का 'ग्लेडस्टोन' कहा जाता है।  

1889 में गोपाल कृष्ण गोखले  कांग्रेस के सदस्य बन गए।  

गोपाल कृष्ण गोखले नरम दल के कांग्रेसी नेता थे।  

वे पाश्चात्य शिक्षा को भारत के लिए वरदान मानते थे।  

वे हिंदू–मुस्लिम एकता को भारत के लिए कल्याणकारी मानते थे।  

गोखले ने अपने जीवन को राष्ट्र के कल्याण के लिए समर्पित किया।  

गोपाल कृष्ण गोखले भारत के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी एवं सुधारक थे।  

उन्होंने देश में व्याप्त छुआछूत और जातिवाद का विरोध किया।  

1902 ई. में उन्हें 'इम्पीरियल लेजिस्लेटिव काउन्सिल' का सदस्य चुना गया।  

1905 ई. में उन्होंने सर्वेन्ट्स ऑफ इंडिया सोसायटी की स्थापना की।  

19 फ़रवरी 1915 को गोपालकृष्ण गोखले इस संसार से विदा हो गए।

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