Hindi, asked by pranaytiwari1569, 1 month ago

10 lines Importance of truth in hindi. Tell fast it's urgent​

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Answered by anithamanipati8
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वाणी और मन का यथार्थ होना सत्य की पहचान है अर्थात् जो मन में है, वही हम वाणी से बोलें। सत्य सरल एवं सीधे स्वभाव से कहा जाता है, जबकि झूठ बोलने वाले के मन में कपट भाव छिपा होता है। हमारे प्राचीन धार्मिक ग्रंथों में सत्य की अनेकानेक विशेषताएं बताई गई हैं।

महाराज मनु ने धर्म के दस लक्षण बताए हैं, जिनमें सत्य भी प्रमुख स्थान रखता है। ‘धृतिः क्षमा दमोऽस्तेयं शौचमिन्द्रियनिग्रहः। धीविद्या सत्यमक्रोधो दशकं धर्मलक्षणम्।।’ अर्थात् धैर्य, क्षमा, संयम, अस्तेय (चोरी न करना ), शौच ( अंतर्मन और शरीर की पवित्रता ), इन्द्रिय निग्रह (इन्द्रियों से धर्म सम्मन आचरण), धी ( सत् बुद्धि), विद्या, सत्य एवं अक्रोध यानी हमेशा शांत रहना।

सत्यमेव जयते नानृतम् अर्थात विजय सदैव केवल सत्य की ही होती है। सत्य ही धर्म है तथा जहां धर्म है वहीं विजय है।

महाभारत शांति पर्व में कहा गया है – ‘सत्यस्य वचनं श्रेयः’ यानि सत्य वाणी ही श्रेष्ठ है तथा ‘सत्यादपि हितं वदेत्’ अर्थात सत्यवाणी हित में ही बोली जानी चाहिए।

आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द सरस्वती ने सत्यार्थ प्रकाश ग्रंथ की रचना का प्रयोजन स्पष्ट करते हुए कहा है कि जो सत्य है उसको सत्य और जो मिथ्या है उसको मिथ्या मानना ही सत्य अर्थ के प्रकाश को समझना है।

सत्य की महिमा बताते हुए कहा गया है कि –

सांच बराबर तप नहीं, झूंठ बराबर पाप।

जाके हृदय सांच है, ताके हृदय आप।।

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