India Languages, asked by kimballxp, 1 year ago

10 LINES OF IMPORTANCE OF TULSI PLANT IN SANSKRIT

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Answered by Anonymous
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Answer:

तुलसी पौधा

Explanation:

1. हिक्काज विश्वास पाश्र्वमूल विनाशिन:।

पितकृतत्कफवातघ्नसुरसा: पूर्ति: गन्धहा।।

संस्कृत अनुवाद

सुरसा यानी तुलसी हिचकी, खांसी, जहर का प्रभाव व पसली का दर्द मिटाने वाली है। इससे पित्त की वृद्धि और दूषित वायु खत्म होती है। यह दूर्गंध भी दूर करती है।

2. तुलसी कटु कातिक्ता हद्योषणा दाहिपित्तकृत।

दीपना कृष्टकृच्छ् स्त्रपाश्र्व रूककफवातजित।।

संस्कृत अनुवाद

तुलसी कड़वे व तीखे स्वाद वाली दिल के लिए लाभकारी, त्वचा रोगों में फायदेमंद, पाचन शक्ति बढ़ाने वाली और मूत्र से संबंधित बीमारियों को मिटाने वाली है। यह कफ और आंत से संबंधित बीमारियों को भी ठीक करती है।

3. त्रिकाल बिनता पुत्र प्रयाश तुलसी यदि।

विशिष्यते कायशुद्धिश्चान्द्रायण शतं बिना।।

तुलसी गंधमादाय यत्र गच्छन्ति: मारुत:।

दिशो दशश्च पूतास्तुर्भूत ग्रामश्चतुर्विध:।।

संस्कृत अनुवाद

यदि सुबह, दोपहर और शाम को तुलसी का सेवन किया जाए तो उससे शरीर इतना शुद्ध हो जाता है, जितना अनेक चांद्रायण व्रत के बाद भी नहीं होता। तुलसी की गंध जितनी दूर तक जाती है, वहां तक का वातारण और निवास करने वाले जीव निरोगी और पवित्र हो जाते हैं।

4. तुलसी तुरवातिक्ता तीक्ष्णोष्णा कटुपाकिनी।

रुक्षा हृद्या लघु: कटुचौहिषिताग्रि वद्र्धिनी।।

जयेद वात कफ श्वासा कारुहिध्मा बमिकृमनीन।

दौरगन्ध्य पार्वरूक कुष्ट विषकृच्छन स्त्रादृग्गद:।।

संस्कृत अनुवाद

तुलसी कड़वे और तीखे स्वाद वाली कफ, खांसी, हिचकी, उल्टी, दुर्गंध, हर तरह के दर्द, कोढ़ और आंखों की बीमारी में लाभकारी है। तुलसी को भगवान के प्रसाद में रखकर ग्रहण करने की भी परंपरा है, ताकि यह अपने प्राकृतिक स्वरूप में ही शरीर के अंदर पहुंचे और शरीर में किसी तरह की आंतरिक समस्या पैदा हो रही हो तो उसे खत्म कर दे। शरीर में किसी भी तरह के दूषित तत्व के एकत्र हो जाने पर तुलसी सबसे बेहतरीन दवा के रूप में काम करती है। सबसे बड़ा फायदा ये कि इसे खाने से कोई रिएक्शन नहीं होता है।

Answered by maheshnagpal138
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