10 lines on arjun in mahabharat in hindi
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महाराज पाण्डु एवं रानी कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे। कृष्ण और बलराम की बहन सुभद्रा, नाग कन्या उलूपी और मणिपुर नरेश की पुत्री चित्रांगदा इनकी पत्नियाँ थीं। इनके भाई क्रमशः कर्ण, युधिष्ठिर, भीम, नकुल, सहदेव।
अर्जुन सबसे अच्छे धनुर्धर और द्रोणाचार्य के प्रमुख शिष्य थे। जीवन में अनेक अवसर पर उन्होने इसका परिचय दिया। इन्होने द्रौपदी को स्वयंवर में जीता था। कुरूक्षेत्र युद्ध में ये प्रमुख योद्धा थे। अर्जुन ने ही कुरुक्षेत्र में श्रीकृष्ण से अलौकिक प्रश्न किये जो गीता में वर्णित हैं।
महाराज पाण्डु की दो पत्नियाँ थी कुन्ती तथा माद्री।मुनि दुर्वासा के वरदान द्वारा धर्मराज, वायुदेव तथा इंद्र का आवाहन कर तीन पुत्र माँगे। इंद्र द्वारा अर्जुन का जन्म हुआ।
द्रोणाचार्य को ऐसे योद्धाओं की आवश्यकता थी जो राजा द्रुपद से प्रतिशोध ले सके। इसी कारण वे हस्तिनापुर के 105 राजकुमारों को शिक्षा देने लगे जिसमें से एक अर्जुन भी था।अर्जुन विश्व का सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर माना जाता था।[1]
- अर्जुन महाभारत के मुख्य नायक मे से एक था ।
- अर्जुन के पास अग्नि देव का गाँडी नाम का एक दिव्य धनुष था ।
- अर्जुन महाराज पांडु और रानी कुंती के तीसरे पुत्र थे ।
- अर्जुन ने महाभारत मे अपने दिव्यास्तरों का चमत्कार दिखाया था ।
- अर्जुन के दिव्य धनुष के बाण कभी खतम नहीं होते थे ।
- भगवान श्री कृषण को नारायण तथा अर्जुन को नर माना जाता था ।
- अर्जुन ने धर्म की रक्षा के लिए अपने ही परिवार से युद्ध किया था ।
- अर्जुन ने गुरु द्रोणाचार्य से धनुष विध्या प्राप्त की थी ।
- अर्जुन एक शूरवीर योद्धा थे ।
- अर्जुन को महाभारत का मुख्य पात्र माना गया है ।
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