10 lines on carpenter in Hindi
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Eहिंदी में Carpenter को बढ़ई कहते हैं। यह वो इंसान है जो लकड़ी का सामान बनाता है। जैसे की कूर्सी, मेज, पलंग, तख्ता, टेबल, और यहाँ तक की नए ज़माने की किचन का फर्नीचर भी Carpenter महोदय ही बनाते हैं।
उपरोक्त समान के अलावा एक कारपेंटर लकड़ी की खिड़की एवं दरवाज़े भी बनाता है। जब भी कोई नया मकान या दुकान बनता है तो उसका फर्नीचर बनाने के लिए बढ़ई यानि कारपेंटर की आवश्यकता पढ़ती है। हम युंह भी कह सकते हैं की बिना कारपेंटर के एक न्यारा और प्यारा घर संपुर्ण तरीके से नहीं बन सकता। हाँ किसी को झोंपड़ी नुमा घर बनाना है तो बात अलग है।
क्या आपको पता है की कारपेंटर को खाती भी कहते हैं। हमारे देश भारत में कई गांव खातीपुरा नाम से जाने जाते हैं। ये वह गांव हैं जहाँ पर कारपेंटरों का जमघट लगता है। यानि बहुत से खातियों के परिवार वहां बस्ते हैं।
बढ़ई एक कुशल कारीगर होता है। एक आरी और कुछ औजार हाथ में लेकर वो लकड़ी को वैसे ही तराशता और संवारता है जैसे एक मूर्तिकार एक पत्थर को।
क्या आपने सोचा है कभी की यदि बढ़ई नहीं होते तो क्या होता ? भैया, फिर तो बिस्तर की जगह जमीन पर सोना पड़ता। और लिखने के लिए कॉपी को रखने के लिए मेज भी नहीं मिलती। घर का सामान फैला रहता यहाँ वहां क्योंकि अलमारी ही नहीं होती इस दुनिया में। आपको समझ में आ गया होगा की बढ़ई की उपयोगिता क्या है हमारे जीवन में।
कारपेंटरी (बढ़ई का क़ाम ) बहुत ही महनत भरा है। दिन - रात एक करने पड़ते हैं तब जाकर कहीं टाइम से (गृह प्रवेश के उद्धघाटन ) से पहले पूरा फर्नीचर बन पाता है। Carpenter पहले तो लकड़ी का चुनाव करता है (सही लकड़ी ढूंढ पाना भी एक कला है ), फिर उसको सही माप के हिसाब से काटता और चीरता है , फिर डिजाईन बनाता है, कील ठोकता है, चिपकता है, तब जाकर कहीं काम पूरा होता है।
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