10 lines on Premchand ji in Hindi
Answers
●●आपके पिता का नाम अजायब राय था।
●● वह डाकखाने में मामूली नौकर के तौर पर काम करते थे
●●धनपतराय की उम्र जब केवल आठ साल की थी तो माता के स्वर्गवास हो जाने के बाद से अपने जीवन के अन्त तक लगातार विषम परिस्थितियों का सामना धनपतराय को करना पड़ा।
●● पिताजी ने दूसरी शादी कर ली जिसके कारण बालक प्रेम व स्नेह को चाहते हुए भी ना पा सका।
●● आपका जीवन गरीबी में ही पला।
●●कहा जाता है कि आपके घर में भयंकर गरीबी थी। ●●पहनने के लिए कपड़े न होते थे और न ही खाने के लिए पर्याप्त भोजन मिलता था।
●● इन सबके अलावा घर में सौतेली माँ का व्यवहार भी हालत को खस्ता करने वाला था।
@skb
मुंशी प्रेमचंद भारत के उपन्यास सम्राट माने जाते हैं जिनके युग का विस्तार सन् 1880 से 1936 तक है। यह कालखंड भारत के इतिहास में बहुत महत्व का है। इस युग में भारत का स्वतंत्रता संग्राम नई मंज़िलों से गुजरा। प्रेमचंद का वास्तविक नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। वे एक सफल लेखक, देशभक्त नागरिक, कुशल वक्ता, जिम्मेदार संपादक और संवेदनशील रचनाकार थे। बीसवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में जब हिंदी में काम करने की तकनीकी सुविधाएं नहीं थीं फिर भी इतना काम करने वाला लेखक उनके सिवा कोई दूसरा नहीं हुआ।
जन्म और विवाह : प्रेमचंद का जन्म वाराणसी से लगभग चार मील दूर, लमही नाम के गांव में 31 जुलाई, 1880 को हुआ। प्रेमचंद के पिताजी मुंशी अजायब लाल और माता आनंदी देवी थी। प्रेमचंद का बचपन गांव में बीता था। प्रेमचंद का कुल दरिद्र कायस्थों का था, जिनके पास करीब छ: बीघा जमीन थी और जिनका परिवार बड़ा था। प्रेमचंद के पितामह, मुंशी गुरुसहाय लाल, पटवारी थे। उनके पिता, मुंशी अजायब लाल, डाकमुंशी थे और उनका वेतन लगभग पच्चीस रुपए मासिक था। उनकी मां आनंद देवी सुंदर, सुशील और सुघड़ महिला थीं।
जब प्रेमचंद पंद्रह वर्ष के थे, उनका विवाह हो गया। वह विवाह उनके सौतेले नाना ने तय किया था। सन 1905 के अंतिम दिनों में आपने शिवरानी देवी से शादी कर ली। शिवरानी देवी बाल-विधवा थीं। यह कहा जा सकता है कि दूसरी शादी के पश्चात् इनके जीवन में परिस्थितियां कुछ बदली और आय की आर्थिक तंगी कम हुई। इनके लेखन में अधिक सजगता आई। प्रेमचंद की पदोन्नति हुई तथा यह स्कूलों के डिप्टी इन्सपेक्टर बना दिए गए।
शिक्षा : गरीबी से लड़ते हुए प्रेमचंद ने अपनी पढ़ाई मैट्रिक तक पहुंचाई। जीवन के आरंभ में ही इन्हें गांव से दूर वाराणसी पढ़ने के लिए नंगे पांव जाना पड़ता था। इसी बीच में इनके पिता का देहांत हो गया। प्रेमचंद को पढ़ने का शौक था, आगे चलकर वह वकील बनना चाहते थे, मगर गरीबी ने इन्हें तोड़ दिया। प्रेमचंद ने स्कूल आने-जाने के झंझट से बचने के लिए एक वकील साहब के यहां ट्यूशन ले लिया और उसी के घर में एक कमरा लेकर रहने लगे।
इनको ट्यूशन का पांच रुपया मिलता था। पांच रुपए में से तीन रुपए घर वालों को और दो रुपए से प्रेमचंद अपनी जिंदगी की गाड़ी को आगे बढ़ाते रहे। प्रेमचंद महीना भर तंगी और अभाव का जीवन बिताते थे। इन्हीं जीवन की प्रतिकूल परिस्थितियों में प्रेमचंद ने मैट्रिक पास किया। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य, पर्सियन और इतिहास विषयों से स्नातक की उपाधि द्वितीय श्रेणी में प्राप्त की थी।
साहित्यिक जीवन : प्रेमचंद उनका साहित्यिक नाम था और बहुत वर्षों बाद उन्होंने यह नाम अपनाया था। उनका वास्तविक नाम ‘धनपत राय’ था। जब उन्होंने सरकारी सेवा करते हुए कहानी लिखना आरंभ किया, तब उन्होंने नवाब राय नाम अपनाया। बहुत से मित्र उन्हें जीवनपर्यंत नवाब के नाम से ही संबोधित करते रहे। जब सरकार ने उनका पहला कहानी-संग्रह, ‘सोजे वतन’ जब्त किया, तब उन्हें नवाब राय नाम छोड़ना पड़ा। बाद का उनका अधिकतर साहित्य प्रेमचंद के नाम से प्रकाशित हुआ।
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