World Languages, asked by riya4911665, 11 months ago

10 lines on Vivekananda in Sanskrit ( with their Hindi)



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Answered by TwilightZ
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Vivekananda in Sanskrit

आधुनिकभारतस्य निर्माणकर्तृषु युगपुरुषस्य विवेकानन्दस्य नाम सर्वोपरि अस्ति। सः न केवलं भारते अपितु सम्पूर्णविश्वे आध्यात्मलोकं विकीर्णयति स्म। तस्य महापुरुषस्य जन्म 1863 तमे वर्षे अभवत्। विश्वनाथदत्तः तस्य पिता आसीत्। बाल्यकाले विवेकानन्दस्य नाम नरेंद्रनाथः आसीत्। बाल्यकालादेव सः अति मेधावी आसीत्। आध्यात्मविषये तस्य महती रुचिः आसीत्।

नरेन्द्रः यदा स्नातकोंSभवत् तदा तस्य पिता परलोकम् अगच्छत्। एकदा एकस्यां सभायां सः रामकृष्णपरमहंसमहोदयस्य स्पर्शमधिगत्य समाधिस्थोSभवत्। तस्यैव गुरोः स्पर्शेन च तस्य समाधिः समाप्तोSभवत्। तस्मात् क्षणादेव नरेन्द्रः तं स्वगुरुम् अमन्यत तपः च आरभत।

1893 तमे वर्षे अमरीकादेशे 'शिकागो' नामनगरे विश्वधर्मसम्मेलनमभवत्। तस्मिन् सम्मेलन सः भारतस्य प्रतिनिधित्वम् अकरोत्। तस्मादेव कालात् तस्य कीर्तिः सर्वत्र प्रासरत्। अनेके जनाः तस्य भक्ताः अभवन्। विवेकानन्दः लोकसेवायाः उद्देश्यं 'रामकृष्णमिशन' संस्थापयत्। 4 जुलाई 1902 तमे वर्षे अयं दिव्यपुरुषः पंचतत्वं गतः।

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Answered by Singjtikk
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Explanation:

स्वामी विवेकानन्द( बांग्ला: স্বামী বিবেকানন্দ) (जन्म: 12 जनवरी,१८६३ - मृत्यु: ४ जुलाई,१९०२) वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे। उनका वास्तविक नाम नरेन्द्र नाथ दत्त था। उन्होंने अमेरिका स्थित शिकागो में सन् १८९३ में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था। भारत का आध्यात्मिकता से परिपूर्ण वेदान्त दर्शन अमेरिका और यूरोप के हर एक देश में स्वामी विवेकानन्द की वक्तृता के कारण ही पहुँचा। उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी जो आज भी अपना काम कर रहा है। वे रामकृष्ण परमहंस के सुयोग्य शिष्य थे। उन्हें प्रमुख रूप से उनके भाषण की शुरुआत "मेरे अमरीकी भाइयो एवं बहनो" के साथ करने के लिये जाना जाता है।[5] उनके संबोधन के इस प्रथम वाक्य ने सबका दिल जीत लिया था।

कलकत्ता के एक कुलीन बंगाली परिवार में जन्मे विवेकानंद आध्यात्मिकता की ओर झुके हुए थे। वे अपने गुरु रामकृष्ण देव से काफी प्रभावित थे जिनसे उन्होंने सीखा कि सारे जीवो मे स्वयं परमात्मा का ही अस्तित्व हैं; इसलिए मानव जाति की सेवा द्वारा परमात्मा की भी सेवा की जा सकती है। रामकृष्ण की मृत्यु के बाद विवेकानंद ने बड़े पैमाने पर भारतीय उपमहाद्वीप का दौरा किया और ब्रिटिश भारत में मौजूदा स्थितियों का प्रत्यक्ष ज्ञान हासिल किया। बाद में विश्व धर्म संसद 1893 में भारत का प्रतिनिधित्व करने, संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए प्रस्थान किया। विवेकानंद ने संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैंड और यूरोप में हिंदू दर्शन के सिद्धांतों का प्रसार किया। सैकड़ों सार्वजनिक और निजी व्याख्यानों का आयोजन किया। भारत में विवेकानंद को एक देशभक्त संन्यासी के रूप में माना जाता है और उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है।

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