10 मुहावरो से बनी एक कहानी
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Answer:
एक बार मोहन घर से चंपत हो गया , और उसके दोस्तों ने जब पूछा गया तब सब ने मुंह नहीं खोला | सारे दोस्त बाते बनाने लगे गए | आस-पास के पड़ोसी नमक-मिर्च लगा कर बाते करने लग गए | और जितने मुंह, उतनी बातें होनी लग गई | मोहन का परिवार तितर-बितर हो गया | मोहन के पिता ने उसकी परवरिश में जी-जान से जुट लगा थी | मोहन का कुछ पता नहीं चला और उनकी हालत आसमान से जमीन पर गिरना जैसी हो गई | मोहन अपनी घर का मोर्चा सँभालना नहीं संभाल सका | मोहन ने अपने पैर में खुद कुल्हाड़ी मार दी | अब मोहन पड़ोस में किसी को शक्ल दिखाने लायक नहीं रहा | मोहन के माता-पिता ने इस दुःख को आँसू पीकर बर्दाश्त कर लिया | अब सब को मोहन एक आँख नहीं भाता| मोहन के माता-पिता अकेले की कमर टूट गई | सारे लोग मोहन के माता-पिता के बारे में कीचड़ उछालने लग गए |
Explanation:
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दूसरों के लिए गडढा खोदना सुंदर वन एक बहुत ही दुर्लभ है। इसमें नाना प्रकार के पशु पक्षी निवास करते थे। उस वन के कदलीकुञ्ज मुहल्ले में एक हिरण रहता था। वह बहुत सरल और दयालु था। उसी के पड़ोस में एक गीदड़ भी रहता था। वह बहुत धूर्त, मक्कार और मतलबी था। पर ऐसे लोगों के सींग थोड़े ही होते हैं। बाहर से वह बहुत शरीफ लगता है। हिरन बेचारा दिन - भर मेहनत करके अपना भोजन जुटाता था। पर गीदड़ आलसी और कामचोर था। वह मरे हुए जानवरों या शेर की जूठन खाकर अपने पेट की आग बुझाता था। 2) प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश दूसरों के लिए गड्ढा खोदना पूरी कहावत दूसरों के लिए गड्ढा खोदने वाला स्वयं उसमें गिरता है अन्य समानार्थक कहावतें संस्कृत: परस्य विषयं विचिन्तयेप्रपन्नुयायात् कुमति स्वयं हि तत्सहितं हरिवधार्थ भययौ प्राप्सेव वधमात्मनः। उसमें। अर्थ : जो दूसरों का बुरा चाहता है उसी का बुरा होता भाव : किसी को हानि न पहुँचाओ , इससे तुम्हारी ही हानि होगी । कहानीकार की ओर से - बच्चों ! इस कहावत का अर्थ तुम समझ गये होगे । इसमें छिपी सरल शिक्षा यह है कि जो दूसरों का नुकसान करना चाहता है स्वयं उसे ही नुकसान उठाना पड़ता है । ऐसे व्यक्ति का वही हाल होता है जो उस गीदड़ का हुआ जिसने हिरण के लिए गड्ढा खोदा था , आओ , मैं तुम्हें उस दुष्ट गीदड़ और भोले हिरन की कहानी सुनाता हूँ जिसके आधार पर ही यह कहावत बनी होगी |