Hindi, asked by sunitigarg97, 7 months ago

10 मुहावरे से बनी कहानी बताइए । ​

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Answered by devguru01
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ऐसे व्यक्ति का वही हाल होता है जो उस गीदड़ का हुआ जिसने हिरण के लिए गड्ढ़ा खोदा था, आओ, मैं तुम्हें उस दुष्ट गीदड़ और भोले हिरन की कहानी सुनाता हूँ जिसके आधार पर ही यह कहावत बनी होगी। सुन्दर वन एक अत्यंत सुन्दर वन था। ... हिरन बेचारा दिन-भर मेहनत करके अपना भोजन जुटाता था।

Answered by anshuman916sl
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Correct Answer:

  • तीन में न तेरह में, न सेर भर सुतली में, न करवा भर राई में

अर्थात ऐसा व्यक्ति जो किसी गिनती में न हो

किस्सा है कि पुराने ज़माने की किसी मशहूर नाचनेवाली ने अपने चाहनेवाले लोगों को अलग-अलग कई श्रेणियों में बाँट रखा था। पहली श्रेणी में तीन व्यक्ति थे, जिन्हें वह सबसे अधिक चाहती थी, फिर तेरह थे, फिर वे थे, जिनकी गिनती उसने सुतली में गाँठे लगाकर कर याद रखी थी, सबसे अंत में थे वे साधारण व्यक्ति, जिनके नाम का राई का एक दाना वह एक करवे में डाल दिया करती थी। एक बार उसके यहाँ एक व्यक्ति आया और बोला कि मैं यहाँ पहले भी आया करता था और तुम्हें बहुत धन दिया है। पर नर्तकी ने उसे नहीं पहचाना और अपने नौकर से कहा कि देखो यह किसमें है। तब नौकर ने उक्त जवाब दिया।

सेर भर = लगभग 933 ग्राम

करवा = मिट्टी का बना लोटे जैसा बरतन

  • टेढ़ी खीर

कहते हैं कि एक आदमी ने किसी अंधे व्यक्ति से पूछा ‘खीर खाओगे ?’ अंधे ने पूछा ‘खीर कैसी होती है ?’ उस आदमी ने जवाब दिया ‘सफ़ेद’। फिर अंधे ने पूछा ‘सफ़ेद कैसा ?’ उसने जवाब दिया ‘जैसा बगुला दिखता है। अंधे ने पूछा – बगुला कैसा होता है? इस पर उस आदमी ने हाथ टेढ़ा करके दिखाया। अंधे ने हाथ टटोलकर कहा—’यह तो टेढ़ी खीर है, न खाई जाएगी। इस तरह यह पद एक मुहावरा बन गया।

  • चिलचिलाती धूप

कहते हैं कि भरी दुपहरी में जब बहुत तेज़ धूप पड़ रही हो, तभी चील अंडा देती है और अंडा छोड़ते वक़्त चिल्लाती है । इसलिए तेज़ धूप या गरमी को ‘चील-चिल्लातीधूप या गरमी कहते होंगे । यह ‘चील-चिल्लाती‘ पद ‘चिलचिलाती’ बन गया है।

  • यह कहानी रोहन की है। रोहन एक अच्छा लड़का था। उसे खेलना कूदना बहुत पसंद था। वह दिन भर खेलता रहता और खेल खेलकर जब उसका अंग अंग ढीला हो जाता (अंग–अंग ढीला होना–बहुत थक जाना) तब वह अपने घर चला जाता। सब लोग उसे बहुत पसंद करते थे क्योंकि वह जो भी खेल खेलता उसमें वह माहिर हो जाता था।

  • सब उसे अपनी टीम में लेने के लिए उत्साहित होते थे। वह अपने विरोधियों को बड़ी आसानी से हरा देता और उनके दांत खट्टे कर देता था (दांत खट्टे कर देना – हरा देना)। जितना वह खेल में माहिर था उतना ही वह अक्ल का दुश्मन था (अक्ल का दुश्मन होना – बेवकूफ या मूर्ख) क्योंकि जब कभी भी दिमाग दौड़ाने की बारी आती तो वह पीछे हट जाता। पढ़ाई लिखाई के मामले में वह एक अनाड़ी था।

  • एक दिन उसका दोस्त रवि उसके पास आया और उससे बोला, “रोहन तुम खेलकूद में माहिर हो। मैं तो तुमसे यह कहना चाहूंगा कि तुम्हें अपना भविष्य खेलकूद में ही बनाना चाहिए। इसके लिए तुम्हें यहां-वहां भटकना छोड़ कर किसी एक खेलपर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए। क्योंकि जब तुम किसी एक खेल पर ध्यान केंद्रित करोगे और उस पर मेहनत करोगे तो उसमें तुम निपुण हो जाओगे।”

  • रवि की बात सुनकर रोहन बोला, “तुम्हारी बात तो सही है मेरे दोस्त लेकिन मेरे अक्ल पर पत्थर ही नहीं पड़ रहा (अक्ल पर पत्थर पड़ना कुछ – समझ ना आना)। अब तुम ही मुझे बताओ कि मैं कौन सा खेल चुनू जिससे कि मैं उसे अच्छे से खेल कर अपना भविष्य बना सकूं?”

  • यह सवाल सुनकर रवि हंसने लगा और बोला, “मेरे दोस्त तुम बड़े ही भोले हो। इस सवाल का जवाब तुम्हारे पास ही है। तुम बस यह सोचो कि तुम्हें कौन सा खेल खेलना सबसे ज्यादा अच्छा लगता है और जिसमें तुम सबसे अच्छे हो।”

  • अपने दोस्त रवि की बात सुनकर रोहन ने अपने अक्ल के घोड़े दौड़ाया (अक्ल के घोड़े दौड़ाना – सोचना) फिर वह रवि से बोला, “मुझे क्रिकेट बहुत पसंद है लेकिन उसमें मैं उतना अच्छा नहीं हूं उसके अलावा मुझे…”

  • रोहन की बात को काटते हुए रवि बोला, “क्यों ना तुम शतरंज खेलकर देखो उस खेल में भी बड़ा मजा आता है।”

  • “अरे मेरे दोस्त तुम भी बड़ा अजीब मजाक करते हो। तुम जानते हो कि दिमाग दौड़ाने में मैं पीछे हूं। जब कभी भी बात दिमाग के इस्तेमाल की होती है तो मैं पीछे हो जाता हूं। और शतरंज के खेल में दिमाग का इस्तेमाल करना पड़ता है। जो कि मुझ से नहीं हो पाता इसीलिए वह खेल मैं नहीं खेलना चाहता” रवि ने कहा, “इन सबके अलावा मुझे फुटबॉल बहुत पसंद है उस खेल में मैं बहुत अच्छा हूं और फुटबॉल खेलना मुझे बहुत पसंद है।”
  • यह सुनकर रवि थोड़ी देर हसा और बोला, “हां शतरंज में तो दिमाग की जरूरत होती है लेकिन तुम कह रहे हो कि फुटबॉल खेलना तुम्हें ज्यादा पसंद है तो तुम्हें उसे खेलकर अपना भविष्य बनाओ।”

  • रवि की बातों ने रोहन पर अच्छा असर किया और अब से वह सिर्फ और सिर्फ फुटबॉल खेलने लगा। खेल खेलकर वह दिन रात एक कर देता था (दिन रात एक कर देना – कड़ी मेहनत करना)। समय के साथ-साथ रोहन फुटबॉल के खेल में माहिर हो चुका था। रोहन की चमक उठने लगी थी (चमक उठना – उन्नति करना)
  • रोहन जगह-जगह खेल को लेकर प्रसिद्ध होने लगा था और उसे बड़े-बड़े फुटबॉल मैच खेलने के लिए भी बुलाया जाता था। उसके खेल को देखकर लोग उसके दीवाने हो जाते और उसे प्रोत्साहित करने के लिए अपना गला फाड़ते रहते (गला फाड़ना – जोर से चिल्लाना)। अपने दोस्त रवि की सलाह मानकर वह अपने जीवन में आगे बढ़ता ही जा रहा था। अब वह एक प्रसिद्ध खिलाड़ी बन चुका था।

  • इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें हमेशा दूसरों के द्वारा दी गई अच्छी सलाह को जरूर मानना चाहिए। इस कहानी में रवि ने अपने दोस्त को एक अच्छी सलाह दी और उसे मानकर रोहन अपने जीवन को एक दिशा दे पाया। वह एक अच्छा खिलाड़ी बन पाया। इसीलिए आप भी दूसरों के द्वारा दी गई अच्छी सलाहों को समझें और उसे जीवन में अपनाएं।

#SPJ2

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