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निम्न अपठित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए -(कोई पाँच)
[1 + 1 + 1 + 1 + 1-5]
"विज्ञान ने पृथ्वी को दूसरा स्वर्ग बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी, फिर भी यह सत्य है कि
सी विज्ञान ने नर्क के द्वार खोल दिए हैं। मानव ने इतनी शक्तिशाली अणुबम, परमाणु बम,
मसाइल बनाए हैं जिनका मुंह केवल विनाश की ओर खुलता है। विज्ञान ने मानव को पूर्णत:
मोगवादी और अकर्मण्य बना दिया है। मानव स्वचालित यंत्रों पर इतना अधिक निर्भर हो गया है कि
सकी हस्त क्षमता बिल्कुल समाप्त हो गयी है। इसने मानव को चतुर बनाया, पर ईमानदारी नहीं
सखाई। मानव को साधन तो दिए, पर सदुपयोग नहीं सिखाया। परिणामस्वरूप इन खोजों का
भपयोगज्यादा हो रहा है।"
न6) उक्त गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए।
(1) पृथ्वी को दूसरा स्वर्ग किसने बनाया?
(m) किसका मुंह विनाश की ओर खुलता है?
(iv) विज्ञान ने मानव को कैसा बना दिया है।
(मानव की हस्तक्षमता क्यों खत्म हो गयी है?
(vi) विज्ञान ने मानय को क्या-क्या नहीं सिखाया?
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विज्ञान में पृथ्वी को दूसरा स्वर्ग बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी फिर भी यह सत्य है कि इस पृथ्वी लेटर के द्वारा खोजा गया है
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(i) उक्त गद्यांश का उचित शीर्षक है " विज्ञान - वरदान या अभिशाप " |
(ii) विज्ञान ने पृथ्वी को दूसरा स्वर्ग बनाया है | इसमें उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी है |
(iii) अणु बम, परमाणु बम, ऐसी मिसाइलें हैं जिनका मुंह विनाश की ओर ही खुलता है।
(iv) विज्ञान ने मनुष्य को पूर्णतः अहंकारी और अकर्मण्य बना दिया है।
मनुष्य स्वचालित मशीनों पर इतना निर्भर हो गया है कि उसकी हाथ की क्षमता पूरी तरह खत्म हो गई है।
(v) मनुष्यों को संसाधन तो दिए गए, लेकिन उन्हें उनका सही उपयोग करना नहीं सिखाया गया। नतीजतन, इन खोजों का दुरुपयोग ज्यादा किया जा रहा है।
#SPJ3
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