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निम्नलिखित अवतरणों को पढ़कर उन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
कहते हैं दुनिया बड़ी मूलक्कड है। केवल उतना ही याद रखती है जितने से उसका स्वार्थ
राधता है। बाकी को फेंककर आगे बढ़ जाती है। शायद अशोक से उसका स्वार्थ नहीं
सधाक्यिों उसे यह याद रखती? सारा संसार स्वार्थ का अखाड़ा ही तो है।
(क) प्रस्तुत गद्यांश में किस प्रसंग की चर्चा की गई है?
(ख) लेखक ने गद्यांश में किस प्रकार के लोगों को स्वार्थी कहा है?
(ग)"सारा संसार स्वार्थका अखाड़ाही तो है।" से लेखक का क्या तात्पर्य है?
(घ) फूल' शब्द के दो पर्यायवाची लिखिए।
(ड)'स्वार्थ' शब्द का विलोम लिखिए।
अथवा
जन का प्रवाह अनन्त होताहै। सहस्त्रों वर्षों से भूमि के साथ राष्ट्रीय जननेतादात्य प्राप्त
किया है। जब तक सूर्य की रश्मियाँ नित्य-प्रातः काल भवन को अमृत रस से भर देती हैं,
तब तक राष्ट्रीय व जन का जीवन भी अमर है। इतिहास के अनेक उतार-चढाव पार
P.T.O.
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can't understand your language dear
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