Hindi, asked by vardhantillani, 3 months ago

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निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पड़कर पूछे गए प्रकों के उत्तर लिडिर-
मात्मनिर्भरता का अर्थ है-अपने ऊपर निर्भर रहना। जो व्यक्ति दूसरे के मुंह को नहीं ताकले वे ही आत्मनिर्भर होते हैं। वस्तुत
अात्मविशसके बल पर कार्य करते रहना आत्मनिर्भरता है। आत्मनिर्भरता का अर्थ है-समाज, निज तथा राष्ट्र की आवश्यकताओं
की पूर्ति करना व्यक्ति, समाज तथा राष्ट्र में आत्मविक्षस की भावना, जात्मनिर्भरता का प्रतीक है। स्वावलंबन जीवनकी
सफलता की पहली सीड़ी है। सफलता प्राप्त करने के लिए व्यक्तिको स्वावलंबी अवश्य होना चाहिए। स्वावलंबनमाले समाज,
राष्ट्र के जीवन में सर्वांगीण सफलता प्राप्तिका महामंत्र है। स्वावलंबन जीवन का अमूल्य आभूषण है, दो तथा कर्मयोगियों का
इटदेव है। सांगीण उन्नतिका आधार है।
जब व्यक्तिस्वावलंबी होगा, उसमें जात्मनिर्भरता होगी, तो ऐसा कोई कार्य नहीं जिसे वह न कर सके। स्वावलंबी मनुष्पके सामने
कोई भी कार्य जाजाए, तो वह अपने दृढ़ विक्षस से, अपने जात्मबल से उसे जवही पूर्ण कर लेगा। स्वावलंबी मनुष्य जीवन में
कभी भी असफलता का मुंह नहीं देखता। वह जीवन के हर क्षेमें निरंतर कामयाब होता जाता है। सफलता तो स्वावलंबी
की दासी बनकर रहती है। जिस व्यक्तिक स्वयं अपने आप पर ही विझत नहीं, वह भला पाकर पाएगा? परंतु इसके विपरीत
जिस व्यक्ति में आत्मनिर्भरता होगी. वह कभी किसी के सामने नहीं झुकेगा। वह जो करेगा सोचसमझकर करेगा। मनुष
में सबसे बड़ी कमी स्वावलंबन कान होना है। सबसे बड़ा गुण भी मनुष्य की जात्मनिर्भरता ही है।
1.किन व्यक्तियों को आत्मनिर्भर कहा जा सकता है?
जो दूसरों का मुंह नहीं ताकते है
जो दूसरों का मुंह ताकते है।
जो दूसरों पर निर्भर रहते हैं
iv.जो आत्मविक्षसी नहीं होते

Answers

Answered by yaminidurgavattikuti
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Answer:

Is this a question??

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And I don't know Hindi language

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