Hindi, asked by llovepeterr, 1 month ago

10
नोट-सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर दीजिए-
भारतीय संस्कृति का मूलतत्व है-समन्वय साधना अर्थात् सभी स्थितियों, सभी प्रकार के तत्वों से मेल-जोल और एकता।
अपने आरंभकाल से ही भारतीय संस्कृति अपनी सभी प्रकार की प्रत्यक्ष-परोक्ष साधनाओं में इस प्रकार का समन्वय करती
आ रही हैं, ताकि सभी प्रकार क बाह्य भेद-भावों को मिटाकर अलग-अलग रीति-नीतियों को मानने वाले लोग भी इस
धरती पर मिल-जुलकर रह सकें तथा व्यवस्थापूर्वक रहते हुए जीवन के उस परम लक्ष्य को पा सकें, जिसे मुक्ति का
आनंद कहा जाता है। तभी भावना-लोक के समान व्यवहार-लोक में भी भारतीय संस्कृति ने हमेशा समन्वय पर बल दिया
है। कभी किसी की भी उपेक्षा नहीं की। जिस प्रकार विशाल सागर स्वच्छ नदियों और गंदे नालों को समान रूप से अपने
में मिलाकर उन्हें भी अपने जैसा कर लेता है, स्वयं शांत, गभीर और अथाह बना रहता है, उसी प्रकार भारतीय संस्कृति
न सभी बाहरी और विदेशी तत्वो को अपने आप में मिलाकर भी अपने महान मूल स्वरूप को ज्यों-का-त्यों बनाए रखा है।
यह उसकी बहुत बड़ी विशेषता मानी गई है।
(1) भारतीय संस्कृति के मूलतत्व क्या है?
(2) भारतीय शब्द में प्रयुक्त प्रत्यय बताइए।
(3) मुक्ति का आनंद किसे कहते हैं?
(4) लेखक ने भारतीय संस्कृति को किसके समान माना है?
(5) भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता क्या है?​

Answers

Answered by pramilanath1986
1

Answer:

(1) भारतीय संस्कृति का मूलतत्व है-समन्वय साधना अर्थात् सभी स्थितियों, सभी प्रकार के तत्वों से मेल-जोल और एकता।

(3)अपने आरंभकाल से ही भारतीय संस्कृति अपनी सभी प्रकार की प्रत्यक्ष-परोक्ष साधनाओं में इस प्रकार का समन्वय करती

आ रही हैं, ताकि सभी प्रकार क बाह्य भेद-भावों को मिटाकर अलग-अलग रीति-नीतियों को मानने वाले लोग भी इस

धरती पर मिल-जुलकर रह सकें तथा व्यवस्थापूर्वक रहते हुए जीवन के उस परम लक्ष्य को पा सकें, जिसे मुक्ति का

आनंद कहा जाता है।

(4) भावना-लोक के समान व्यवहार-लोक में भी भारतीय संस्कृति ने हमेशा समन्वय पर बल दिया

है।

(5)जिस प्रकार विशाल सागर स्वच्छ नदियों और गंदे नालों को समान रूप से अपने

में मिलाकर उन्हें भी अपने जैसा कर लेता है, स्वयं शांत, गभीर और अथाह बना रहता है, उसी प्रकार भारतीय संस्कृति

न सभी बाहरी और विदेशी तत्वो को अपने आप में मिलाकर भी अपने महान मूल स्वरूप को ज्यों-का-त्यों बनाए रखा है।

यह उसकी बहुत बड़ी विशेषता मानी गई है।

Similar questions