Hindi, asked by ashokrajput1, 1 year ago

10 neete ke dohe meaning

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Answered by guptaayush590
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Hey Friend,
Here Is Your Answer

1.
दोहा :- “जो बड़ेन को लघु कहें, नहीं रहीम घटी जाहिं. गिरधर मुरलीधर कहें, कछु दुःख मानत नाहिं.”
अर्थ :- रहीम अपने दोहें में कहते हैं की किसी भी बड़े को छोटा कहने से बड़े का बड़प्पन कम नहीं होता, क्योकी गिरिधर को कान्हा कहने से उनकी महिमा में कमी नहीं होती.

2.
दोहा :- “जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करी सकत कुसंग. चन्दन विष व्यापे नहीं, लिपटे रहत भुजंग.”
अर्थ :- रहीम ने कहा की जिन लोगों का स्वभाव अच्छा होता हैं, उन लोगों को बुरी संगती भी बिगाड़ नहीं पाती, जैसे जहरीले साप सुगंधित चन्दन के वृक्ष को लिपटे रहने पर भी उस पर कोई प्रभाव नहीं दाल पाते.

3.
दोहा :- “दोनों रहिमन एक से, जों लों बोलत नाहिं. जान परत हैं काक पिक, रितु बसंत के नाहिं”
अर्थ :- रहीम कहते हैं की कौआ और कोयल रंग में एक समान काले होते हैं. जब तक उनकी आवाज ना सुनायी दे तब तक उनकी पहचान नहीं होती लेकिन जब वसंत रुतु आता हैं तो कोयल की मधुर आवाज से दोनों में का अंतर स्पष्ट हो जाता हैं.

4.
दोहा :- “रहिमन ओछे नरन सो, बैर भली न प्रीत. काटे चाटे स्वान के, दोउ भाँती विपरीत.”
अर्थ :- गिरे हुए लोगों से न तो दोस्ती अच्छी होती हैं, और न तो दुश्मनी. जैसे कुत्ता चाहे काटे या चाटे दोनों ही अच्छा नहीं होता.

5.
दोहा :- “रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारी. जहां काम आवे सुई, कहा करे तरवारी.”
अर्थ :- बड़ी वस्तुओं को देखकर छोटी वास्तु को फेंक नहीं देना चाहिए, जहां छोटीसी सुई कम आती हैं, वहां बड़ी तलवार क्या कर सकती हैं?

6.
दोहा :- “समय पाय फल होता हैं, समय पाय झरी जात. सदा रहे नहीं एक सी, का रहीम पछितात.”
अर्थ :- हमेशा किसी की अवस्था एक जैसी नहीं रहती जैसे रहीम कहते हैं की सही समय आने पर वृक्ष पर फल लगते हैं और झड़ने का समय आने पर वह झड जाते हैं. वैसेही दुःख के समय पछताना व्यर्थ हैं.

7.
दोहा :- “वे रहीम नर धन्य हैं, पर उपकारी अंग. बाँटन वारे को लगे, ज्यो मेहंदी को रंग.”
अर्थ :- रहीमदास जी ने कहा की वे लोग धन्य हैं, जिनका शरीर हमेशा सबका उपकार करता हैं. जिस प्रकार मेहंदी बाटने वाले पर के शरीर पर भी उसका रंग लग जाता हैं. उसी तरह परोपकारी का शरीर भी सुशोभित रहता हैं.

8.
दोहा :- “बिगरी बात बने नहीं, लाख करो कीं कोय. रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय.”
अर्थ :- इन्सान को अपना व्यवहार सोच समझ कर करना चाहिये क्योकी किसी भी कारण से यदि बात बिगड़ जाये तो उसे सही करना बहोत मुश्किल होता हैं जैसे एक बार दूध ख़राब हो गया तो कितनी भी कोशिश कर लो उसे मठ कर मख्खन नहीं निकाला जा सकता.|

9.
दोहा :- “रूठे सृजन मनाईये, जो रूठे सौ बार. रहिमन फिरि फिरि पोईए, टूटे मुक्ता हार.”
अर्थ :- यदि माला टूट जाये तो उन मोतियों के धागे में पीरों लेना चाहिये वैसे आपका प्रिय व्यक्ति आपसे सौ बार भी रूठे तो उसे मना लेना चाहिये.

10.
दोहा :- “जैसी परे सो सही रहे, कही रहीम यह देह. धरती ही पर परत हैं, सित घाम औ मेह.”
अर्थ :- रहीम कहते हैं की जैसे धरती पर सर्दी, गर्मी और वर्षा पड़ती तो वो उसे सहती हैं वैसे ही मानव शरीर को सुख दुःख सहना चाहिये.

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Answered by Dollyq234
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Answer:

ऐसी वाणी बोलिए मन का आपा खोए औरन को शीतल करे आपहु शीतल होय।

बड़े बड़ाई ना करे बड़े न बोले बोल रहिमन हीरा कब कहे लाख टका मेरो मोल ।

गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाय बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताए।

बुरा जो खोजन मैं चला बुरा न मिलिया कोई जो दिल देखना अपना बुरा ना मुझसे कोई।

बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर पंथी को छाया नहीं फल लागे अति दूर।

निंदक नियरे राखिए, आंगन कुटी छवाय, बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय।

धीरे धीरे रे मना धीरे सब कुछ होय माली सींचे सौ घड़ा ऋतु आए फल होय।

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