10.पंचांग किसे कहते हैं
Answers
Explanation:
चांग का हर पूजा और शुभ काम में खास महत्व होता है. पंचांग देखे बिना कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है.
Answer:
पंचांग का हर पूजा और शुभ काम में खास महत्व होता है| पंचांग देखे बिना कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है|
Explanation:
हिंदू धर्म में कुछ भी शुभ काम करने से पहले मुहूर्त जरूर देखा जाता है| दरअसल, मान्यता है कि किसी भी शुभ कार्य से पहले पंचांग जरूर देखना चाहिए| पंचांग एक प्राचीन हिंदू कैलेंडर को कहा जा सकता है| पंचांग पांच अंग शब्द से बना है| हम इसे पंचांग इसलिए कहते हैं क्योंकि यह पांच प्रमुख अंगों से बना है| वो पांच प्रमुख अंग हैं- नक्षत्र, तिथि, योग, करण और वार| कौन सा दिन कितना शुभ है और कितना अशुभ, ये इन्हीं पांच अंगो के माध्यम से जाना जाता है|
ये हैं पंचांग के पांच अंग-
1. नक्षत्र: पंचांग का पहला अंग नक्षत्र है| ज्योतिष के मुताबिक 27 प्रकार के नक्षत्र होते हैं| लेकिन मुहूर्त निकालते समय एक 28वां नक्षत्र भी गिना जाता है| उसे कहते है, अभिजीत नक्षत्र| शादी, ग्रह प्रवेश, शिक्षा, वाहन खरीदी आदि करते समय नक्षत्र देखे जाते हैं|
2. तिथि: पंचांग का दूसरा अंग तिथि है| तिथियां 16 प्रकार की होती हैं| इनमें पूर्णिमा और अमावस्या दो प्रमुख तिथियां हैं| ये दोनों तिथियां महीने में एक बार जरूर आती हैं| हिंदी कैलेंडर के अनुसार महीने को दो भाग में बांटा गया है, शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष| अमवस्या और पूर्णिमा के बीच की अवधि को शुक्ल पक्ष कहा जाता है| वहीं पूर्णिमा और अमावस्या के बीच की अवधि को कृष्ण पक्ष कहा जाता है| वैसे ऐसी मान्यता है कि कोई भी बड़ा या महत्तवपूर्ण काम कृष्ण पक्ष के समय नहीं करते| ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस समय चंद्रमा की शक्तियां कमजोर पड़ जाती हैं और अंधकार हावी रहता है| तो इसलिए सभी शुभ काम जैसे की शादी का निर्णय शुक्ल पक्ष के समय किया जाता है|
3. योग: पंचांग का तीसरा अंग योग है| योग किसी भी व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव डाल सकते हैं| पंचांग में 27 प्रकार के योग माने गए हैं| इसके कुछ प्रकार है- विष्कुंभ, ध्रुव, सिद्धि, वरीयान, परिधि, व्याघात आदि|
4. करण: पंचांग का चौथा अंग करण है| तिथि के आधे भाग को करण कहा जाता है| मुख्य रूप से 11 प्रकार के करण होते हैं| इनमें चार स्थिर होते हैं और सात अपनी जगह बदलते हैं| बव, बालव, तैतिल, नाग, वाणिज्य आदि करण के प्रकार हैं|
5. वार: पंचांग का पांचवा अंग वार है| एक सूर्योदय से दूसरे सर्योदय के बीच की अवधि को वार कहा जाता है| रविवार, सोमवार, बुधवार, बृहस्पतिवार, शुक्रवार, और शनिवार, सात प्रकार के वार होते हैं| इनमें सोमवार, बुधवार, बृहस्पतिवार और शुक्रवार को शुभ माना गया हैं|
For more similar reference:
https://brainly.in/question/27343195
https://brainly.in/question/15420878
#SPJ6