10 सूक्तियां संस्कृत में लिखो
Answers
Answer:
अर्थ– विद्याविहीन (विद्या को ग्रहण ना करने वाला) मनुष्य पशु के समान होता है। आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महानरिपु:। अर्थ– आलस्य घोर शत्रु है। अहिंसा परमो धर्म:।
Answer:
1. अतिथि देवो भव।
अर्थ– अतिथि हमारे लिए भगवान के स्वरूप होता है।
2. असतो मा सद्गमय तमसो मा ज्योतिर्गमय।
अर्थ– जो ज्ञान असत्य से सत्य की ओर ले जायें और अंधकार से प्रकाश की ओर ले जायें।
3. तमसो मा ज्योतिर्गमय।
अर्थ– अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाये।
4. वसुधैव कुटुंबकम।
अर्थ– पृथ्वी के सभी वासी एक परिवार है।
5. परोपकाराय सतां विभूतय:।
अर्थ– सज्जनों की विभूति हमेशा परोपकार के लिए होती है।
6. विद्या विहीन पशु।
अर्थ– विद्याविहीन (विद्या को ग्रहण ना करने वाला) मनुष्य पशु के समान होता है।
7. आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महानरिपु:।
अर्थ– आलस्य घोर शत्रु है।
8. अहिंसा परमो धर्म:।
अर्थ– अहिंसा ही सबसे बड़ा (परम) धर्म होता है।
9. मा कश्चिद् दुख भागभवेत।
अर्थ– कोई दु:खी न हो अर्थात सभी सुखी रहे।
10. जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।
अर्थ– हमारी जन्मस्थली स्वर्ग से भी बड़ी होती है।
11. नास्तिको वेदनिन्दकः।
अर्थ– वेदों की निन्दा करने वाला इंसान नास्तिक होता है।
12. मा गृधः कस्यस्विद्धनम्।
अर्थ– किसी दूसरे के धन का लोभ नहीं करना चाहिए।
13. योग: कर्मसु कौशलम्।
अर्थ– समत्वरूप योग ही कर्मबंधन से छूटने का उपाय है।
14. सहसा विदधीत न क्रियाम्।
अर्थ– कार्य को बिना विचारे नहीं करना चाहिए।
15. अशांतस्य कुत: सुखम्।
अर्थ– अशांत यक्ति को कभी सुख नहीं मिल सकता है?
16. अनार्य: परदारव्यवहार:।
अर्थ– परस्त्री के विषय में बात करना अपराध है।
17. अनुलड़्घनीय: सदाचार:।
अर्थ– सदाचार का कभी उल्लड़्घन नहीं करना।