(10) समाचारपत्र
आवश्यकता- समाचार जानने का साधन - साहित्य और समाज के विकास में
योगदान- संकटकालीन सेवा - हानि - उपसंहार।
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Explanation:
प्राचीन समय से ही समाचार का आदान प्रदान होता आ रहा है। उस वक्त समाचार संदेशवाहकों द्वारा भेजे जाते थे जिस कारण खबर पहुंचने में काफी समय लग जाता था किन्तु समय के साथ समाचार पत्रों का आरंभ हुआ और यह धीरे –धीरे पूरी दुनिया में फ़ैल गया शुरू –शुरू में समाचार पत्र बड़े –बड़े नगरों तक ही सीमित थे और समय के साथ यह गांवों तक भी पहुंच गया। प्रथम समाचार पत्र का आरंभ इटली में हुआ था। भारत में समाचार पत्रों का आरंभ मुगल काल से हुआ था।
आवशयकता ही आविष्कार की जननी है समचार पत्रों का जन्म भी ऐसी ही आवशयकता का नतीजा है। इंसान की जिज्ञासा को शांत करने के लिए समाचार पत्रों का जन्म हुआ। भारत का पहला समाचार पत्र अंग्रेजी भाषा का पत्र बंगाल गज़ट था जो सन 1780 में जेम्स हिक्की द्वारा प्रकाशित किया गया था ।
समाचार पत्रों से हम देश -विदेश में होने वाली घटनाओं का परिचय घर बैठ कर कर सकते हैं। जिससे लोगों के ज्ञान में बढ़ोतरी होती है। इसके इलावा समाचार पत्रों से हम खेल कूद , सिनेमा , राजनीति से सबंधित और सारकारी योजनाओं का पता अखबार के माध्यम से लगा लेते हैं। समाचार पढने से हमारे चरित्र का निर्माण होता है हमारे विचार और भाषा में काफी सुधार आ जाता है। इसीलिए वर्तमान युग में टेलीविजन , इन्टरनेट और अन्य संचार के साधनों के आ जाने से समाचार पत्रों का महत्व कम नहीं हुआ है।
परन्तु यहां इनके अनेक फ़ायदे हैं वहीँ इनके कुछ नुक्सान भी हैं समाचार पत्र समाज को बहुत प्रभावित करते हैं आज कल देखा गया है के ज्यादातर समाचार पत्र खबर को तोड़ -मरोड़ का छाप देते हैं जिसका जनता पर बुरा प्रभाव पड़ता है। आजकल कुछ समाचार पत्र अशलील खबरें और फोटो छाप देते हैं जो हमारे समाज को बुरे चरित्रिक समाज की तरफ धकेल रही है। .
यदि समाचार पत्र अपने कर्तव्य का सही पालन करें तो निश्चय ही यह समाज के लिए वरदान साबित होगा और समाज की उन्नति में एहम योगदान देगा।
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