10 sukti said by our great persons
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“दूसरो की …गलतियों से सीखो अपने ही ऊपर प्रयोग करके सीखने को तुम्हारी आयु कम पड़ेगी.”
”हर मित्रता के पीछे कोई स्वार्थ जरूर होता है "
”ईश्वर चित्र में नहीं चरित्र में बसता है अपनी आत्मा को मंदिर बनाओ.”
“अज्ञानी के लिए किताबें और अंधे के लिए दर्पण एक सामान उपयोगी है .”
तुम अपनी अंत:स्थ आत्मा को छोड़ किसी और के सामने सिर मत झुकाओ।
ईश्वर ही ईश्वर की उपलब्थि कर सकता है।
आध्यात्मिक दृष्टि से विकसित हो चुकने पर धर्मसंघ में बना रहना अवांछनीय है।
”हर मित्रता के पीछे कोई स्वार्थ जरूर होता है "
”ईश्वर चित्र में नहीं चरित्र में बसता है अपनी आत्मा को मंदिर बनाओ.”
“अज्ञानी के लिए किताबें और अंधे के लिए दर्पण एक सामान उपयोगी है .”
तुम अपनी अंत:स्थ आत्मा को छोड़ किसी और के सामने सिर मत झुकाओ।
ईश्वर ही ईश्वर की उपलब्थि कर सकता है।
आध्यात्मिक दृष्टि से विकसित हो चुकने पर धर्मसंघ में बना रहना अवांछनीय है।
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