10 दिन छुहिमो के बाग में एक अनुच्छद सिखना.
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haaaaaaaa bilkul may sikhunga
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बिन तुम्हारे जी रहे हैं स्वाँस को विश्वास देकर,
एक दिन सचमुच मिलोगे देह से बंधन बंधाने।
नैन व्याकुल हो रहे हैं आँसूओं ने कह दिया सब,
बाँध ना पाये हैं जूड़ा गेसुओं ने कह दिया सब।
इक नदी प्यासी अधर पर है प्रतीक्षा में तुम्हारी।
एक कविता है प्रतिक्षित राह में बैठी कुँवारी॥
आपका मुख ही दिखायी दे रहा चहुँ ओर हर पल,
आ भी जाओ मन निशा में प्रेम का दीपक जलाने॥
बिन तुम्हारे जी रहे हैं स्वाँस को विश्वास देकर,
एक दिन सचमुच मिलोगे देह से बंधन बंधाने।
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