100 points...
please answer fast as you can plz plz
and answer wright
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☺Here is your answer ✨
Kyunki Naitik Shiksha se hi hm Hamare dharmo ke bare mein Jante Hain.
◾Naitik Shiksha Se Hum Sahi ya galat main Faisla karna seekte .
or isi vajah se Naitik Shiksha ko Dharam Shiksha bhi Kaha jata hai..
नैतिकता मनुष्य का वह गुण है जो उसे देवत्व के समीप ले जाता है । यदि शुरू में नैतिकता न हो तो पशुता और मनुष्यता में कोई विशेष अंतर नहीं रह जाता है । नैतिकता ही संपूर्ण मानवता का श्रुंगार है ।
वेदों, उपनिषदों एवं अन्य सभी धर्मग्रंथों में नैतिक अथवा सदाचार शिक्षा पर विशेष बल दिया गया है । समस्त ऋषि-मुनियों व शास्त्रियों की मान्यता है कि मनुष्य का चरित्र तभी तक है जब तक उसमें नैतिकता व चारित्रिक दृढ़ता है ।
चरित्रविहीन मनुष्य पशु के समान है और एक पशु चाहे वह कितना ही सुंदर हो, उसकी आवाज कितनी ही मधुर क्यों न हो, वह एक मानव की ऊँचाइयों को कभी नहीं छू सकता । हमारी भारतीय संस्कृति में सदैव ही नैतिक मूल्यों की अवधारणा पर विशेष बल दिया गया है । मनुष्य के जीवन में अच्छे चरित्र का विशेष महत्व है । दूसरे शब्दों में अच्छे चरित्र से ही मनुष्य की अस्मिता कायम है
अच्छे चरित्र के महत्व को उजागर करते हुए संस्कृत की एक सूक्ति निम्नलिखित है:
”वृन्तं यत्नेन सरंक्षंद् विन्तयादाति याति च । अक्षीणो विन्तत: क्षीणो, वृन्ततस्तु हतो हत: ।।”
उक्त सूक्ति में चरित्रविहीन व्यक्ति को मृत के समान बताया गया है । अत: चरित्र का बल प्राणि जगत के लिए अनिवार्य है । इस चरित्र-बल की प्राप्ति हेतु नैतिक शिक्षा अनिवार्य है क्योंकि नैतिक मूल्यों की अवधारणा ही चरित्र-बल है ।
नैतिक शिक्षा का अभाव अनेक प्रकार के दुष्परिणामों को देखने के लिए बाध्य करता है । देश में फैले भ्रष्टाचार, लूटमा,र आगजनी, बलात्कार एवं अन्य अपराध नैतिकता के अभाव की ही परिणति हैं । हमारी वर्तमान पीढ़ी जब इतनी अनैतिक व चरित्रविहीन है तो आने वाली पीढ़ियों का स्वरूप क्या होगा इसकी कल्पना हम सहज ही कर सकते हैं । संपूर्ण विश्व में औद्योगिक प्रगति की लहर चल रही है ।
विज्ञान व तकनीकी के क्षेत्र में नित नई खोजें व प्रयोग चल रहे हैं परंतु मानव जाति व देश के लिए यह एक दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि हमारे शिक्षा-शास्त्रियों व बड़े-बड़े नेताओं ने देश में नैतिक शिक्षा की अनिवार्यता नहीं समझी है । वह शिक्षा जो आत्म-विकास एवं मनुष्य जीवन में संतुलन बनाए रख सकती है उसे ही पाठ्यक्रम में सम्मिलित नहीं किया गया । उसे निरंतर उपहास की दृष्टि से देखा जाता रहा है ।
यदि आज कोई भी समाज या राष्ट्र नैतिक मूल्यों की अनिवार्यता की अनदेखी करता है तो वह स्वयं को पतन की ओर अग्रसर कर रहा है । यदि हम राष्ट्र उत्थान के महत्व को स्वीकारते हैं तो नैतिक शिक्षा की अनिवार्यता को भी समझना होगा, तभी हम राष्ट्र नायकों व निर्माताओं के स्वप्न को साकार कर सकेंगे ।
बच्चों को नैतिक मूल्यों से परिपूर्ण करने के लिए यह भी आवश्यक है कि अभिभावकों व शिक्षकों में भी नैतिकता का समावेश हो । यदि शिक्षक ही नैतिक मूल्यों से रहित हों तो उनके छात्र भी खुलेआम उनका अनुसरण करेंगे ।
☺hope it helps you ☺
Kyunki Naitik Shiksha se hi hm Hamare dharmo ke bare mein Jante Hain.
◾Naitik Shiksha Se Hum Sahi ya galat main Faisla karna seekte .
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नैतिकता मनुष्य का वह गुण है जो उसे देवत्व के समीप ले जाता है । यदि शुरू में नैतिकता न हो तो पशुता और मनुष्यता में कोई विशेष अंतर नहीं रह जाता है । नैतिकता ही संपूर्ण मानवता का श्रुंगार है ।
वेदों, उपनिषदों एवं अन्य सभी धर्मग्रंथों में नैतिक अथवा सदाचार शिक्षा पर विशेष बल दिया गया है । समस्त ऋषि-मुनियों व शास्त्रियों की मान्यता है कि मनुष्य का चरित्र तभी तक है जब तक उसमें नैतिकता व चारित्रिक दृढ़ता है ।
चरित्रविहीन मनुष्य पशु के समान है और एक पशु चाहे वह कितना ही सुंदर हो, उसकी आवाज कितनी ही मधुर क्यों न हो, वह एक मानव की ऊँचाइयों को कभी नहीं छू सकता । हमारी भारतीय संस्कृति में सदैव ही नैतिक मूल्यों की अवधारणा पर विशेष बल दिया गया है । मनुष्य के जीवन में अच्छे चरित्र का विशेष महत्व है । दूसरे शब्दों में अच्छे चरित्र से ही मनुष्य की अस्मिता कायम है
अच्छे चरित्र के महत्व को उजागर करते हुए संस्कृत की एक सूक्ति निम्नलिखित है:
”वृन्तं यत्नेन सरंक्षंद् विन्तयादाति याति च । अक्षीणो विन्तत: क्षीणो, वृन्ततस्तु हतो हत: ।।”
उक्त सूक्ति में चरित्रविहीन व्यक्ति को मृत के समान बताया गया है । अत: चरित्र का बल प्राणि जगत के लिए अनिवार्य है । इस चरित्र-बल की प्राप्ति हेतु नैतिक शिक्षा अनिवार्य है क्योंकि नैतिक मूल्यों की अवधारणा ही चरित्र-बल है ।
नैतिक शिक्षा का अभाव अनेक प्रकार के दुष्परिणामों को देखने के लिए बाध्य करता है । देश में फैले भ्रष्टाचार, लूटमा,र आगजनी, बलात्कार एवं अन्य अपराध नैतिकता के अभाव की ही परिणति हैं । हमारी वर्तमान पीढ़ी जब इतनी अनैतिक व चरित्रविहीन है तो आने वाली पीढ़ियों का स्वरूप क्या होगा इसकी कल्पना हम सहज ही कर सकते हैं । संपूर्ण विश्व में औद्योगिक प्रगति की लहर चल रही है ।
विज्ञान व तकनीकी के क्षेत्र में नित नई खोजें व प्रयोग चल रहे हैं परंतु मानव जाति व देश के लिए यह एक दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि हमारे शिक्षा-शास्त्रियों व बड़े-बड़े नेताओं ने देश में नैतिक शिक्षा की अनिवार्यता नहीं समझी है । वह शिक्षा जो आत्म-विकास एवं मनुष्य जीवन में संतुलन बनाए रख सकती है उसे ही पाठ्यक्रम में सम्मिलित नहीं किया गया । उसे निरंतर उपहास की दृष्टि से देखा जाता रहा है ।
यदि आज कोई भी समाज या राष्ट्र नैतिक मूल्यों की अनिवार्यता की अनदेखी करता है तो वह स्वयं को पतन की ओर अग्रसर कर रहा है । यदि हम राष्ट्र उत्थान के महत्व को स्वीकारते हैं तो नैतिक शिक्षा की अनिवार्यता को भी समझना होगा, तभी हम राष्ट्र नायकों व निर्माताओं के स्वप्न को साकार कर सकेंगे ।
बच्चों को नैतिक मूल्यों से परिपूर्ण करने के लिए यह भी आवश्यक है कि अभिभावकों व शिक्षकों में भी नैतिकता का समावेश हो । यदि शिक्षक ही नैतिक मूल्यों से रहित हों तो उनके छात्र भी खुलेआम उनका अनुसरण करेंगे ।
☺hope it helps you ☺
cutiepie334666:
nibandh likhna hai
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