106/मर
मेरे दीप-फूल
लेकर वे
अंबा को अर्पित करके
दिया पुजारी ने प्रसाद जब
आगे को अंजलि भरके ,
भूल गया उसका लेना झट,
परम लाभ-सा
सोचा,-बेटी को माँ के ये
पुण्य-पुष्प दूँ जाकर मैं।
पाकर मैं।
सिंह पौर तक भी
नहीं पहँचने मैं meaning
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bro I don't know this answer
Explanation:
what you saying me I don't understanding
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