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प्रत्येक मनुष्य में अच्छाई और बुराई दोनों प्रवृत्तियां होती है। यह व्यक्ति विशेष पर निर्भर करता है कि वह इन
दोनों में से किसे अपनाए । दानशीलता और दूसरों की भलाई करने से बडा ओर कोई काम नहीं है। भल्लाई करनेवाले
व्यक्ति की सभी प्रशंसा करते हैं. जबकि बुराई किसी को पसंद नहीं आती। बुराई से कोई व्यक्ति अपार धन संपनि
क्यों न अर्जित कर लें, पर समाज में उसे अच्छे व्यक्ति के रूप में मान्यता कभी नहीं मिलती है। बुरे कार्यों से अजित चन
में शैतानियत की झलक मिलती है। इस तरह नीच कर्म से मनुष्य शैतान ही बनता है, जबकि अपने सदकों से मनुष्य
को देवदूत के रुप में प्रतिष्ठा मिलती है।
(47) लोग किसकी प्रशंशा करते है?
(48) शैतान कौन कहलाता है?
(49) मनुष्य देवदूत कैसे बन सकता है?
(50) भलाई शब्द का विरोधी शब्द ढूंढकर लिखिए।
(51) नीच कम से मनुष्य ही बनता है। (शैतान / देवदूत)
(52) इस परिच्छेद को उचित शीर्षक दीजिए।
निम्नलिखित परिच्छेद को पढकर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर एक वाक्यमें दीजिए।
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47) लोग किसकी प्रशंशा करते है?--Bhalai karne vale ki
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