Hindi, asked by fazilabrunei, 4 months ago

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Read the words and write them in
proper place ( कन्या , चिट्ठी, न्याय प्यास,
इकट्ठा, प्याज, मिट्टी, प्याज धन्यावाद) 1. न्य 2.
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Answered by m9623970514
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भारत में प्याज न केवल किचन का एक अहम हिस्सा है, बल्कि यह राजनीतिक रूप से भी बेहद संवेदनशील कमोडिटी है. प्याज की कीमतों में जब-जब भी तेज उछाल होता है, तब-तब न केवल आम आदमी के किचन का बजट बिगड़ जाता है बल्कि सरकारें भी हलकान होने लगती हैं. बीते 2 हफ्ते से घरेलू बाजार में प्याज की खुदरा कीमतों को देखकर सरकार ने आनन-फानन में सोमवार रात प्याज के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध का फैसला किया. हालांकि, इस फैसले से प्याज उत्पादक किसान, ट्रेडर्स खुश नजर नहीं आ रहे हैं. उनका मानना है कि बाजार में आवक बहुत है, ऐसे में निर्यात रूक गया तो उनका बहुत नुकसान होगा. जानकार मान रहे हैं कि सरकार ने पिछले साल की स्थिति से सबक लेते हुए, इस बार जल्द ही यह कदम उठाया है. निश्चित रूप से ट्रेडर्स और किसान नाखुश होंगे, लेकिन आगे कीमतों में स्थिरता देखने को मिल सकती है, जिससे आम आदमी को राहत रहेगी. बीते साल दिसंबर में प्याज के भाव 100 रु/किलो तक पहुंच गए थे.

देश में प्याज आवश्यक कमोडिटी है. खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय प्याज की कीमतों की नियमित निगरानी करता है. मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, राजधानी दिल्ली में 14 सितंबर को प्याज के खुदरा भाव 41 रुपये/किलो तक पहुंच गए थे. खासबात यह है कि नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने सिर्फ तीन महीने पहले ही पुराने आवश्यक कमोडिटी अधिनियम, 1955 में बदलाव कर अनाज, खाद्य तेल, आलू, प्याज, टमाटर और अन्य आवश्यक कमोडिटीज के स्टॉक लिमिट और निर्यात पर प्रतिबंध के बारे में जरूरी बदलाव किया था. बदलाव के अनुसार, स्टॉक लिमिट या निर्यात प्रतिबंध अत्यंत गंभीर स्थिति जैसे युद्ध या प्राकृतिक आपदा के समय ही लगाया जा सकता है.

प्याज की कीमतों में अभी रहेगी तेजी?

प्याज की कीमतों में आगे भी तेजी बने रहने का आकलन है. ऐसा इसलिए क्योंकि अनलॉक प्रक्रिया आगे और बढ़ेगी, साथ ही त्योहारी सीजन शुरू होने वाले हैं. ऐसे में मांग बढ़ना स्वाभाविक है. प्याज की नई फसल की आवक नवंबर के बाद ही होगी. ऐसे में कीमतों में तेजी का रुख बना रहेगा.

दूसरी ओर, इस साल भी कई राज्यों में मानसून की झमाझम बारिश हुई, जिससे कई क्षेत्रों में प्याज की फसल खराब हो गई. इस साल कर्नाटक में बारिश के चलते बाजार में आने को तैयार पूरी तरह खराब हो गई. सितंबर के पहले हफ्ते में यह फसल बाजार में आने वाली थी. इसके अलावा मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में स्टोर में रखी प्याज भी निकल गई.

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किसान, ट्रेडर्स क्यों हैं परेशान?

महाराष्ट्र में नासिक के किसानों का कहना है कि प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध सरकार का उचित निर्णय नहीं है. एएनआई से बातचीत में किसानों का कहना है कि बाजार में बड़ी मात्रा में प्याज आ रहे हैं. ऐसें में हम इस फसल क्या करेंगे, इसे कहां बेचेंगे?  प्याज उत्पादक किसानों को भाव में भी काफी गिरावट आने की आशंका सता रही है. उनका कहना है कि नासिक मंडी में प्याज 20-25 रुपये प्रति किलो पर बिक रहा है. निर्यात पर रोक लग गई तो यह भाव 2 से 3 रुपये प्रति किलो पर आ जाएंगे. किसानों को भारी नुकसान होगा.

सरकार का मानना है कि अप्रैल से जुलाई के दौरान प्याज का निर्यात 30 फीसदी उछला है. इसके चलते घरेलू बाजार में प्याज की उपलब्धता कम हुई है. दूसरी ओर, खुदरा महंगाई दर के अगस्त माह के आंकड़ों ने भी सरकार को प्याज पर अलर्ट किया हो. अगस्त में खुदरा महंगाई दर  (CPI) 6.69 फीसदी रही, जो जुलाई के 6.73 फीसदी से मामूली कम है. हालांकि, यह रिजर्व बैंक (RBI) के 6 फीसदी के लक्ष्य से ऊपर बनी हुई है. अगस्त में खाद्य महंगाई दर भी 9 फीसदी से ऊपर 9.05 फीसदी पर रही, जो जुलाई में 9.27 फीसदी थी.

आम आदमी को मिलेगी राहत: एक्सपर्ट

प्याज के निर्यात पर रोक के फैसले पर केडिया कमोडिटी के डायरेक्ट अजय केडिया का कहना है कि सरकार के फैसले से लासलगांव मंडी में ट्रेडर्स और किसान नाखुश हैं. किसान कोविड से परेशान थे अब वो और परेशान हो गए हैं. कोविड महामारी से किसान परेशान हैं, भाव अच्छे मिल रहे थे लेकिन निर्यात बंद होने से वो थोड़ा चिंतित हैं. लेकिन, यदि आगे कीमतें थम जाती हैं तो आम आदमी को राहत मिलेगी.

केडिया का कहना है कि सरकार ने पिछले साल की स्थिति को ध्यान में रखते हुए इस बार फौरी तौर पर जल्दी यह फैसला किया. पिछले साल भी अगस्त, सितंबर में भारी बरसात से प्याज फसल को नुकसान हुआ था. सांगली, कोल्हापुर, नासिक में पानी से फसल डूब गई थी. इसके चलते दिसंबर, जनवरी से दाम तेजी से बढ़े थे. ऐसा दोबारा न हो इसके लिए सरकार ने निर्यात पर रोक लगा दी. जब भी ऐसी महामारी होती है तो खाद्य महंगाई बढ़ती है. इससे कीमतों में स्थिरता अभी देखी जाएगी.

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FY-20 में 440 मिलियन डॉलर का निर्यात

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2020 में सरकार ने 328 मिलियन डॉलर के फ्रेश प्याज और 112.3 मिलियन डॉलर के सूखे प्याज का निर्यात किया था. प्याज निर्यात के बैन से पड़ोसी देश बांग्लादेश में कीमतें 50 फीसदी से ज्यादा उछल गई हैं. भारत, बांग्लादेश का सबसे बड़ा प्याज निर्यातक है. अप्रैल-जुलाई की अवधि के दौरान बांग्लादेश को प्याज का निर्यात 158 फीसदी उछल गया था. सरकार के अनुमान के मुताबिक, 2019-20 के दौरान रबी सीजन की प्याज का उत्पादन 2.06 करोड़ टन रहा. 2017-18 के इसी सीजन में यह 1.62 करोड़ टन और 2018-19 में 1.58 करोड़ टन था.

बता दें, पिछले साल सरकार ने 29 सितंबर को प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था और देशभर में स्टॉक लिमिट लगा दी थी. सरकार ने प्याज कीमतें की बेहताशा बढ़ोतरी को रोकने के लिए यह कदम उठाया था. महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले प्याज की कीमतों तेजी से बढ़ी थीं.

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