Hindi, asked by Utalk71, 24 days ago

10th class Hindi chapter 1st of Kshitij book Surdas Ke Pad sandarbh Kavi Parichay​

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Answered by piyushkaswa2008
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Explanation:

सूरदास का जीवन परिचय – Surdas Ka Jeevan Parichay:  सूरदास हिंदी साहित्य में भक्ति-काल की सगुण भक्ति-शाखा के महान कवि हैं। महाकवि सूरदास जी वात्सल्य रस के सम्राट माने जाते हैं। सूरदास का जन्म 1478 ईस्वी में रुनकता नामक गाँव में हुआ। सूरदास के जन्मांध होने के विषय में मतभेद हैं। वे आगरा के समीप गऊघाट पर रहते थे। वहीं उनकी भेंट श्री वल्लभाचार्य से हुई और वे उनके शिष्य बन गए। श्री वल्लभाचार्य ने उनको पुष्टिमार्ग में दीक्षित कर के कृष्णलीला के पद गाने का आदेश दिया। सूरदास की मृत्यु गोवर्धन के निकट पारसौली ग्राम में 1583 ईस्वी में हुई।

उन्होंने अपने जीवन काल में कई ग्रन्थ लिखे, जिनमें सूरसागर, साहित्य लहरी, सूर सारावली आदि शामिल हैं। उनका लिखा सूरसागर ग्रन्थ सबसे ज़्यादा लोकप्रिय माना जाता है। सूर ने वात्सल्य, श्रृंगार और शांत रसों को अपनी रचनाओं में मुख्य रूप से दर्शाया है। उनके अनुसार अटल भक्ति ही मोक्ष-प्राप्ति का एक मात्र साधन है और उन्होंने भक्ति को ज्ञान से भी बढ़ कर माना है। उन्होंने अपने काव्यों में भक्ति-भावना, प्रेम, वियोग, श्रृंगार इत्यादि को बड़ी ही सजगता से चित्रित किया है।

उन्होंने अपने काव्यों के द्वारा कृष्ण-भक्ति की परंपरा को शुरु किया। सूर की भाषा बहुत ही सरल तथा स्वाभाविक है। उन्होंने अपने काव्यों के लिए ब्रज-भाषा का बड़ी ही सहजता से उपयोग किया।

Answered by pakolur
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Answer:

सूरदास हिंदी साहित्य में भक्ति-काल की सगुण भक्ति-शाखा के महान कवि हैं। महाकवि सूरदास जी वात्सल्य रस के सम्राट माने जाते हैं। सूरदास का जन्म 1478 ईस्वी में रुनकता नामक गाँव में हुआ। सूरदास के जन्मांध होने के विषय में मतभेद हैं। वे आगरा के समीप गऊघाट पर रहते थे। वहीं उनकी भेंट श्री वल्लभाचार्य से हुई और वे उनके शिष्य बन गए। श्री वल्लभाचार्य ने उनको पुष्टिमार्ग में दीक्षित कर के कृष्णलीला के पद गाने का आदेश दिया। सूरदास की मृत्यु गोवर्धन के निकट पारसौली ग्राम में 1583 ईस्वी में हुई|

उन्होंने अपने जीवन काल में कई ग्रन्थ लिखे, जिनमें सूरसागर, साहित्य लहरी, सूर सारावली आदि शामिल हैं। उनका लिखा सूरसागर ग्रन्थ सबसे ज़्यादा लोकप्रिय माना जाता है। सूर ने वात्सल्य, श्रृंगार और शांत रसों को अपनी रचनाओं में मुख्य रूप से दर्शाया है। उनके अनुसार अटल भक्ति ही मोक्ष-प्राप्ति का एक मात्र साधन है और उन्होंने भक्ति को ज्ञान से भी बढ़ कर माना है। उन्होंने अपने काव्यों में भक्ति-भावना, प्रेम, वियोग, श्रृंगार इत्यादि को बड़ी ही सजगता से चित्रित किया है |

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