11. इस धरती पर मनुष्य ही नहीं अपितु अन्य जीव-जंतुओं का भी समान अधिकार है। लेकिन मनुष्य ने इस पर
एकाधिकार का प्रयत्न किया है। इस कथन पर अपने विचार लगभग 60-70 शब्दों में व्यक्त कीजिए।
Answers
यह सत्य है कि इस धरती पर मनुष्य ही नहीं अपितु अन्य जीव-जंतुओं का भी समान अधिकार है। लेकिन मनुष्य ने इस पर एकाधिकार का प्रयत्न किया है। मनुष्य ने जीव-जंतुओं को शौक के लिए अपने स्वार्थ के लिए पालता है| उनसे अपना मतलब रखता है और बाद उसे छोड़ देता है|
हमें कोई हक नहीं है की हम किसी बेजुबान जीव-जंतुओं और पक्षियों को उनकी मर्जी के बिना कैद करें या पीड़ा पहुंचाए. हर प्राणी को आज़ादी से रहने का हक है जैसे हम मनुष्य रहते है. हम मैं से बहुत से लोग जानवरों और पक्षियों से प्रेम करते है, कोई पक्षियों से कोई कुता, कोई बिल्ली,कोई गाय पालते है और कोई तंग करना ज्यादा पसंद करते है| यह सब प्राणी बेजुवान होते है हमें उन पर अत्याचार नहीं करने चाहिए उनके पास भी अपने भाव को महसूस करते है उन्हें भी दर्द होता है| हमें किसी को कष्ट नहीं देना चाहिए चाहे वो मानव हो या पशु-पक्षी. सब को हमें उन्हीं के हिसाब से जीने देना चाहिए|
Explanation:
जब भी मैं अपने चारों ओर दृष्टि डालता हूँ , संसार को भांति भांति के जीव जंतुओं से भरा हुआ पाता हूँ और सोचता हूँ कि इन जीव जंतुओं और हम मनुष्यों में क्या अंतर है।वैज्ञानिक दृष्टि से तो अंतर बहुत है लेकिन जब मैं जीवन के उद्देश्य को सामने रखता हूँ तो कोई विशेष अंतर नहीं पाता । सभी जीव जंतु जीवन भर भोजन की तलाश में इधर उधर भटकते और परिश्रम करते है एवं प्रायः आपस में लड़ते झगड़ते रहते है । बहुत से अपने निवास और क्षेत्र के लिए जीवन भर संघर्ष करते है यहाँ तक कि जीवन साथी चुनने के लिए भी उन्हें लड़ाई लड़नी पड़ते है। उन्हें जीवन भर यही सब कुछ करना पड़ता है और फिर वे अगली पीढ़ी को जन्म दे कर मर जाते है।यदि हम इन जीव जंतुओं के उद्देश्य को ढूंढने का प्रयास करें तो उनका केवल के ही उद्देश्य दिखाई देता है जो कि उन्हें प्रकृति ने प्रदान किया है अगली पीढ़ी को तैयार करना।
फिर मैं हम मनुष्यों को देखता हूँ तो यहाँ भी कुछ वैसा ही पाता हूँ धन - संपत्ति , सुख-सुविधाओं, अच्छा घर, अच्छी नौकरी, व्यवसाय में सफलता आदि के लिए जीवन भर परिश्रम, प्रतिद्वंदिता और संघर्ष करना ,विवाह करना , अगली पीढ़ी को तैयार करना और फिर मर जाना ।
जब मैं जीवन के उद्देश्य की बात करता हूँ तो पाता हूँ कि प्रकृति ने हम मनुष्यों को अन्य जीव जंतुओं से अलग नहीं रखा है। हम सभी के लिए प्रकृति ने केवल एक ही उद्देश्य रखा है अगली पीढ़ी को तैयार करना और फिर मर जाना। मित्रो ! क्या हम यह मानने को तैयार है कि इस संसार में हमारे जीवन का यही एकमात्र उद्देश्य है ? मुझे लगता है कि कोई भी यह मानने को तैयार नहीं होगा कि संसार में हम संतानोत्पत्ति के द्वारा अगली पीढ़ी को तैयार करने के लिए ही आये है । कोई भी अपने आप को जीव जंतुओं के सदृश्य मानने को राज़ी नहीं होगा। मैं भी नहीं हूँ, लेकिन न मानने से सच्चाई बदल तो नहीं जाएगी ।