Hindi, asked by deysananda2005, 9 months ago

11. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढिए एवं उस पर आधारित प्रश्नों के
उत्तर दीजिए-
ऊधौ, तुम हौ अति बड़भागी।
अपरस रहत सनेह तगा तैं, नाहिन मन अनुरागी।
पुरइनि पात रहत जल भीतर, ता रस देह न दागी।
ज्यौं जल माहं तेल की गागरि, बूंद न ताकौं लागी।
प्रीति-नदी मैं पाउँ न बोस्यौ, दृष्टि न रूप परागी।
'सूरदास' अबला हम भोरी, गुर चाँटी ज्यौं पागी।।
(क) उद्धव के मन में अनुराग नहीं है, फिर भी गोपियाँ उन्हें बड़भागी क्यों कहती
है?
(ख) उद्धव के व्यवहार की तुलना किस-किस से की गई है?
(ग) अंतिम पंक्तियों में गोपियों ने स्वयं को 'अबला' और 'भोली' क्यों कहा है? 2
(घ) इस पद में अप्रत्यक्ष रूप से उद्धव को क्या समझाया गया है?

Answers

Answered by TrinityBell
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Answer:

(ক) উদভের মনে স্নেহ নেই, তবুও কেন গোপীরা তাঁকে বাদভগী বলে

হয়?

আমি বিশ্বাস করি এটি আপনার উত্তর!

আশা করি এটি সাহায্য করেছে !!

ব্রেইনলিস্ট হিসাবে চিহ্নিত করুন এবং কিছু ধন্যবাদ দিন !!

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