11. तपरवी ने सूर्य को क्यों बुलाया और उससे क्या कहा?
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भगवान शिव कितने भोले हैं यह तो सभी जानते हैं। कभी वह शिवलिंग के ऊपर बंधे घंटे को चोरी करने वाले को अपना भक्त मान लेते हैं। तो कभी पेड़ पर चढ़े शिकारी के यूं ही बेलपत्र तोड़कर नीचे फेंकने को उसकी भक्ति समझ लेते हैं। यही नहीं उससे प्रसन्न होकर वह उसे सर्वस्य दे भी देते हैं। इससे इतर भोले भंडारी को यदि क्रोध आ जाए तो वह कितना विकराल रूप ले लेता है। इसका उदाहरण भी धर्म शास्त्रों में देखने को मिलता है। 18 पुराणों में सबसे प्राचीनतम पुराण ब्रह्मवैवर्त पुराण में ऐसी ही एक कथा मिलती है जब नवग्रहों के राजाधिराज भगवान सूर्य को भी शिवजी के कोप का शिकार बनना पड़ा। आइए जानते हैं क्या है पूरी कहानी?
2/6इसलिए आया था अवढरदानी को गुस्सा
मनुष्य, देवता या फिर दैत्य जो भी भगवान शिव की शरण में पहुंचता है। वह बिना किसी भेदभाव के सभी पर कृपा करते हैं। एक बार दैत्य माली और सुमाली भी उनकी शरण में अपनी पुकार लेकर पहुंचे। वह गंभीर शारीरिक पीड़ा से त्रस्त थे। सूर्य देव की अवहेलना से उन्हें इस व्याधि से भी मुक्ति नहीं मिल रही थी। अपनी करुण पुकार लेकर वह भगवान शिव की शरण में पहुंचे।