Hindi, asked by idyehaipehla, 8 months ago

11. दिन का थका पंथी क्या सोचकर जल्दी-जल्दी चलता है?

क. रात ना हो जाए ख. मंजिल दूर नहीं है

ग. जल्दी घर पहुंचना है घ. उपरोक्त सभी 12. क्या सोच कर कवि की चाल धीमी हो जाती है?

क. इंतजार करने वाला कोई नहीं। ख . अशांति ग. पारिवारिक झगड़ा।
घ. कलह

13. 'एक गीत 'शीर्षक कविता के कवि कौन हैं ?

क. कुंवर नारायण ख. आलोक धन्वा
ग. हरिवंश राय बच्चन
घ. राम गोपाल वर्मा

14. 'कविता के बहाने' शीर्षक कविता में कवि ने कविता की

उड़ान की तुलना किस - किस से की है ?

क. चिड़िया ख. हवाई जहाज

ग. तितली 15.' कविता के बहाने 'शीर्षक कविता के कवि कौन हैं ?

घ. मक्खी

क. सुमित्रानंदन पंत ख. रामधारी सिंह दिनकर ग. कुंवर नारायण सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'​

Answers

Answered by LucanBiswas17
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Answer:

डेस्क - हमारी वैदिक/भारतीय संस्कृति में विवाह/शादी दो आत्माओं का मिलन है। इस पवित्र बंधन में स्त्री और पुरुष अपने अपने धर्म, समाज को साक्षी मानकर जीवन भर साथ निभाने के लिए बंधते है। इसमें किसी भी प्रकार अवरोध ना केवल उन दोनों के लिए ही वरना उनके पूरे परिवार के लिए भी दुखद साबित होता है ।

इस संसार में हर व्यक्ति चाहता है की उसका दाम्पत्य जीवन बहुत ही सफल हो , पति पत्नी के मध्य बहुत ही मधुर सम्बन्ध बने रहे और हर मनुष्य के घर में उस परिवार के सभी सदस्यों के बीच प्रेम और आपसी सौहार्द चिरकाल तक विद्यमान रहे , लेकिन आज की भागदौड़ , कड़ी प्रतिस्पर्धा भरी जिन्दगी में संबंधो के बीच दूरियां बडती जा रही है ।

परिवार बिखर रहे है और जो साथ भी है उनमे कहीं न कहीं अहम् का भाव हावी होता जा रहा है।

घर में माता - पिता / बड़े बुजुर्गो को उचित मान सम्मान नहीं मिल पा रहा है ....

पण्डित दयानन्द शास्त्री ने बताया कि यह सत्य है की यदि पारिवारिक वातावरण अच्छा नहीं है, परिवार के सदस्यों में मतभेद है , कलह है तो व्यक्ति हमेशा मानसिक रूप से आशान्त ही रहेगा , पारिवारिक सुख के अभाव में उसका हर सुख अधुरा ही रहेगा ।

ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री यहाँ पर कुछ ऐसे महत्वपूर्ण नियम / उपाय बता रहे है, जिनका पालन करके हमारे परिवार हमारे दाम्पंत्य जीवन में अवश्य ही खुशियाँ भरी रहेंगी ।

इन सभी उपाय/टोटकों की पूर्ण फल प्राप्ति हेतु आस्था और मन में श्रद्धा बहुत आवश्यक हैं।

इन आसान/सरल/प्रभावी उपायों/टोटकों से होगा आपका जीवन सुखी और शांतिमय--

1. कन्या के सुखी विवाहिक जीवन के लिए विवाह के पश्चात् जब कन्या की विदाई होने वाली हो तो किसी पीले रंग के धातु के लोटे में गंगाजल लेकर,उसमें थोडी सी पिसी हल्दी मिलाएं फिर एक तांबे का सिक्का उस लोटे में डालकर कन्या के ऊपर से 7 बार उतार कर उसके आगे गिरा दें, कन्या का विवाहिक जीवन सुखमय रहेगा ।

2. यदि कन्या विवाह के चार दिन पूर्व साबुत हल्दी की ७ गांठे, पीतल के ३ सिक्के, थोडा सा केसर, गुड और चने की दाल इन सबको एक पीले वस्त्र में बाँधकर अपनी ससुराल की दिशा में उछाल दे तो उसको अपने पति और ससुराल के अन्य सभी सदस्यों का सदैव भरपूर प्यार मिलेगा।

3. यदि कोई कन्या विदाई के बाद अपने ससुराल में प्रवेश करने से पहले चुपचाप मेहंदी में मिले हुए साबुत उडद गिरा दे और फिर प्रवेश करे तो उसका दाम्पत्य जीवन सदा सुखमय रहेगा , उसकी अपने पति और ससुराल के अन्य सदस्यों से सदैव अच्छे सम्बन्ध बने रहेंगे ।

4. घर में रोज या सप्ताह में एक बार नमक मिले पानी का पोछा अवश्य लगवाये ।

5. यदि घर में पत्नी अपने हाथों में कम से कम २ सोने की या पीली चूड़ी पहने तो भी दाम्पत्य जीवन में प्रेम और घर में सुख बना रहता है ।

6. जहाँ तक संभव हो मंगलवार , ब्रहस्पतिवार और शनिवार को घर का कोई भी सदस्य न तो नाखून, बाल काटें , और ना ही शेव बनाये , इसके अतिरिक्त ब्रहस्पतिवार और शनिवार को घर में कपडे भी ना धोएं , नहाते हुए सर को गीला ना करें और बालों में तेल भी कतई ना लगायें ।

7. यदि व्यक्ति सुबह नाश्ते में पत्नी या माँ के द्वारा केसर मिश्रित दूध का सेवन करें और काम में जाते समय नियमपूर्वक उनके हाथ से जबान में केसर लगाये और थोड़ी सी चीनी खाए तो घर में सदैव सुख शांति और आर्थिक सम्रद्धि बनी रहती है ।

8. यदि घर में क्लेश रहता है घर के सदस्यों में मतभेद रहते है तो घर में आटा शनिवार को ही पिसवाएं या खरीदे और साथ ही १०० ग्राम पिसे काले चने भी लें जो उस आटे में मिला दें जल्दी ही स्थिति में सुधार होते हुए देखेंगे ।

9. जब भी घर में खाने पीने की कोई वास्तु (मिठाई , फल आदि ) आयें तो सबसे पहले भगवान को भोग लगायें फिर घर के बड़े बुजुर्गो और बच्चों को देकर ही पति पत्नी उस वस्तु का सेवन करें , यह बहुत ही चमत्कारी और परखा हुआ उपाय है बुजुर्गो के आशीषों और बच्चों के खुशियों से घर में सर्वत्र हर्ष , शुभता का वातावरण बनेगा और उस घर में कभी भी अन्न और धन की कमी नहीं रहेगी ।

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Answered by Rameshjangid
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Answer:

शब्दार्थ: विकल व्याकुल, हित कारण, शिथिल धीमापन, पद- पैर, उर- हृदय, विह्वलता व्याकुल । अर्थ: कवि जब स्वयं से प्रश्न करते है कि कौन है, जो उनसे मिलने को व्याकुल है या वो किससे मिलने के लिए चंचल हो। यह प्रश्न ही उनके पैरों में शिथिलता तथा हृदय में विह्वलता भर देता हैं

Explanation:

पंथी इसलिए जल्दी- जल्दी चलता है कि दिन ढलने से पूर्व ही वह अपनी मंजिल पर पहुँच जाए। वह दिन ढलने से पूर्व मंजिल पर पहुँच जाना चाहता है

यह विचार उसके मन को व्याकुल कर देता है। कवि ने इस गीत में इस सत्य को व्यंजित किया है कि मानव जीवन एक निश्चित अवधि तक ही सीमित है। समय तेजी से गुजर रहा है। जो लोग समय के महत्त्व को समझते हैं, वे उसे व्यर्थ नष्ट नहीं करते।

रात-सा दिन हो गया, फिर रात आयी और काली। भाव – धूल युक्त बादलों ने धरती पर इस प्रकार घेरा डाल दिया मानो दिन रात में बदल गया हो। और रात का अंधकार और बढ़ गया।

इस कविता में कवि ने कविता की तुलना चिड़ियां , फूल तथा बच्चों से की है । कवि कहते हैं कि एक चिड़िया की उड़ने की सीमा होती है परंतु जब कवी कविता लिखता है तो उसकी कविता की कल्पनाओं की उड़ान असीमित होती है । उसी प्रकार फूल मुरझाने से पहले तक सुगंधित रहते हैं । कविता भी फूल की तरह ही सुगंध देती है

शब्दार्थ: विकल व्याकुल, हित कारण, शिथिल धीमापन, पद- पैर, उर- हृदय, विह्वलता व्याकुल । अर्थ: कवि जब स्वयं से प्रश्न करते है कि कौन है, जो उनसे मिलने को व्याकुल है या वो किससे मिलने के लिए चंचल हो। यह प्रश्न ही उनके पैरों में शिथिलता तथा हृदय में विह्वलता भर देता हैं

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