Social Sciences, asked by kalpnasinghrajpoot6, 6 months ago

12 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के चार कारण लिखिए

Answers

Answered by rajmesiharaj
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Explanation:

उत्तर ......अट्ठारह सौ सत्तावन स्वतंत्रता का 10 मई को स्टार्ट हुआ था इसका प्रमुख कारण

1.सैनिक विद्रोह जो की नई प्रकार के बंधुओं को मैं गांव तो सूअर की चर्बी का लेप गड़ा हुआ था जो सैनिक अपने दांतों से खून कर उसको बंदूक में भरकर छोड़ते थे

2.राज्य हड़प नीति जो डलहौजी द्वारा लाया गया था

3.लगान वसूली क्योंकि बहुत अधिक था

4.चौथा छोटी-छोटी जमींदार तथा प्रांत ऊपर जबरदस्ती अंग्रेजों द्वारा उसको कब्जे में लाना यह सब बहुत सारे ऐसे कारण थे जो 18 सो 57 के विद्रोह का कारण बना

Answered by Jasleen0599
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1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के चार कारण

  • ईस्ट इंडिया कंपनी के कठोर शासन से समाज के सभी वर्गों में रोष का माहोल था. अंग्रेजों ने हिन्दू और मुस्लिमों में प्रचलित कई प्रथाओं पर रोक लगा दी थी. इसमें बाल विवाह और सती प्रथा शामिल थी. जबकि राजा राम मोहन राय इन प्रथाओं को बंद करने के पक्ष में थे.
  • अंग्रेज प्रशासन में उच्च सैनिक और असैनिक पद अंग्रेजो और यूरोपियन व्यक्तियों के लिए ही सुरक्षित थे. सेना में भारतीय सिर्फ सूबेदार के पद पर ही पहुँच सकते थे. सैन्य और असैन्य विभागों में भी भारतीयों को भेदभाव की दृष्टी से देखा जाता था. इससे भारतीयों में असंतोष व्याप्त था.
  • भारत में कृषि और लघु उद्योग एक दुसरे के पूरक थे. लघु उद्योगों के नष्ट हो जाने से इसका कृषि पर गहरा प्रभाव पड़ा. इसके साथ ही अंग्रेजों द्वारा लगान में वृद्धि कर दी गई. पहले ही प्राकृतिक कारणों से पैदावार कम हो रही थी और अंग्रेजो ने यह नियम बना दिया की जो किसान भूमि कर जमा नही करेगा. उसकी जमीन जप्त कर ली जाएगी.
  • सेना के उच्च पदों पर सिर्फ अंग्रेज ही नियुक्त किये जाते थे और निम्न पदों पर सिर्फ भारतीयों को रखा जाता था. सिर्फ समुद्र पर नौकरी करने वालों को ही पदोन्नती दी जाती थी.
  • इस क्रांति का सबसे प्रमुख एवं तात्कालिक कारण एनफील्ड रायफल (Enfield Rifle) के कारतूसों में चर्बी का प्रयोग होना था.  इन रायफलों में गाय और सूअर की चर्बी का प्रयोग किया गया था. जिससे हिन्दू और मुस्लिम दोनों धर्मो के भ्रष्ट होने का डर था. जिसका विरोध स्वरुप मंगल पांडे ने इअपने स्वर बुलंद किये और अँगरेज़ अधिकारी लेफ्टिनेन्ट बॉब को मौत के घात उतार दिया. जिसके बाद मंगल पांडे पर कोर्ट मार्शल किया गया और उन्हें 6 अप्रैल 1857 को फांसी की सजा सुना दी गयी. यह फांसी मंगल पांडे को 18 अप्रैल 1857 को दी जानी थी. परन्तु दस दिन पूर्व ही 8 अप्रैल सन् 1857 को ही उन्हें फाँसी पर लटका दिया. मंगल पांडे की शहादत ने ही 1857 के विद्रोह की चिंगारी को आग में बदल दिया था.

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