Hindi, asked by heni8b27ues, 6 months ago

12. निम्नलिखित रुपरेखा के आधार पर कहानी लिखकर शीर्षक और सीख लिखिए।

एक निर्दयी राजा - गुलाम को दंड - गुलाम का जंगल में भाग जाना- सिंह से भेंट - सिंह के पैर से काँटा
निकालना - सिंह से मित्रता - गुलाम की गिरफ्तारी - फाँसी की तैयारी-उसे भूखे सिंह के सामने छोडना - सिंह का
स्नेहपूर्ण व्यवहार -दोनों की रिहाई-सीख।

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Answered by Anonymous
88

निम्नलिखित रूपरेखा के आधार पर कहानी लिखी गई है। शीर्षक तथा सीख भी दी गई है।

•एक नगर में कई वर्षों पहले एक राजा था। राजा स्वभाव से बहुत निर्दयी था। सभी नगर वादी राजा के उस स्वभाव से दुखी थे। छोटी गलती हो जाने पर भी राजा दंड दिया करता था।

•एक बार राजा ने एक गुलाम को किसी छोटी सी गलती के फलस्वरूप मृत्यु दण्ड दिया। गुलाम मौका पाकर नगर से भाग गया।

• भागते भागते वह जंगल में आ गया। वह थक चुका था। थककर एक जगह पर सो गया। एक कराहती आवाज से उसक बांझ खुल गई।

• उसने देखा एक शेर पीड़ा से छटपटा रहा है। गौर से देखने पर उसे पता चला कि शेर के पैर में कांटा घुस गया है। उसे शेर पर दया आयी, शेर के पैर से कांटा निकालकर उसने शेर मदद की। शेर कृतज्ञ हो गया। इस प्रकार उसकी शेर से मित्रता हो गई।

• गुलाम को जंगल में रहते कुछ दिन हो गए परन्तु एक दिन राजा के सैनिक उसे गिरफ्तार करके के गए।

• गुलाम को राजा ने समक्ष पेश किया गया । उसे फिर से मृत्यु दंड दिया गया । उस बार उसे भूखे शेर के सामने छोड़ दिया गया। जैसे ही शेर ने उसे देखा ,शेर ने उसे पहचान लिया तथा उसे खाने से बजाय उससे स्नेह पूर्ण व्यवहार करने लगा। पूरी बात समझने पर राजा ने दोनों को रिहा कर दिया। शेर ने अपना कर्ज उतार दिया।

शीर्षक - उपुर्युक्त कहानी के लिए उचित शीर्षक होगा

" जो बोएगा , वही पाएगा "

अथवा

" भले का भला "

सीख - यदि कोई किसी के साथ भलाई करता है तो उसका किया हुआ व्यर्थ नहीं जाता। उसके साथ भी अच्छा ही होता है

Answered by bhumikavinay1984
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Answer:

प्रदूषण का शाब्दिक अर्थ है-गंदगी वह गंदगी जो हमारे चारों ओर फैल गई है और जिसकी गिरफ्त में पृथ्वी के सभी निवासी हैं उसे प्रदूषण कहा जाता है। प्रदूषण को मोटे तौर पर तीन श्रेणियों में विभक्त किया जा सकता है वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण। ये तीनों ही प्रकार के प्रदूषण मानव के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक सिद्ध हो रहे हैं।

वायु और जल प्रकृति-प्रदत्त जीवनदायी वस्तुएँ हैं। जीवों की उत्पत्ति और जीवन को बनाए रखने में इन दोनों वस्तुओं का बहुत बड़ा हाथ है। वायु में जहाँ सभी जीवधारी साँस लेते हैं वहीं जल को पीने के काम में लाते हैं। लेकिन ये दोनों ही •वस्तुएं आजकल बहुत गंदी हो गई हैं।

वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण इसमें अनेक प्रकार की अशुद्ध गैसों का मिल जाना है। वायु में मानवीय गतिविधियों के कारण कार्बन डायऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड जैसे प्रदूषित तत्व भारी मात्रा में मिलते जा रहे हैं। जल में नगरों का कूड़ा-कचरा रासायनिक पदार्थों से युक्त गंदा पानी

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