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नश्वर है संसार ।यहां पर रहना है दिन चार जगत में रहते हुए उपरोक्त कथन को कभी
नहीं भूलना चाहिए । एक दिन जगत का समस्त दृश्य ओझल हो जाने वाला है |जगत से
जोड़ा हुआ सम्बन्ध वियोग की घड़ी में पीड़ा अवश्य देता है। इस पीड़ा से बचने का एक ही
उपाय है कि संयोग काल में सेवा को अपनाकर जगत के अधिकार की रक्षा कर दी जाए और
बदले में सुख की आशा को छोड़कर अपने आप में ठहरने का स्वभाव बना लेना चाहिए।जगत
में तो सदा के लिए रहा नहीं जा सकता।इसलिए अपने स्थाई ठिकाने की खोज को ही अपना
जीवन का लक्ष्य बनाया जा सकता है। जगत का कुछ भी प्राप्त करने कर लेने को जीवन का
लक्ष्य नहीं माना जा सकता है।जगत के नजारे और उन्हें देखने वाली आख दोनों बंद हो
जाने वाले हैं। अपने निज स्वरूप का बोध ही जीवन का वास्तविक लक्ष्य है। जगत का
समस्त क्रिया-कलाप इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए होना चाहिए ।इस लक्ष्य को प्राप्त करने
के लिए हमें अंतरमुख होना पड़ेगा। जगत का खिंचाव बंद करने के लिए जगत के काम आना
और कुछ ना चाहना अत्यंत आवश्यक है ।जगत की सेवा से जगत का राग मिट जाता है
और विश्राम की प्राप्ति होती है। आत्मस्वरूप, रूप में स्थित हो जाने पर अपने से भिन्न कुछ
नहीं रह जाता। जगत भी अपना निजस्वरूप हो जाता है ।जब सभी अपने दिखने लगेंगे तो
अनुमान लगाएं कि इस विश्व प्रेम के आनंद का कोई पारावार नहीं होगा।यह विश्व प्रेम की
विश्ववती का प्रेम बन जाएगा। नश्वर जगत अपने में विलीन हो जाएगा और शेष रह जाएगा
हमारा अविनाशी अस्तित्व और प्रेमास्पद प्रभु का पवित्र प्रेम।
१) यह संसार कैसा है?
२) संसार में रहते हुए क्या नहीं भूलना चाहिए?
३) वियोग कब होता है और उस दिशा में कैसा अनुभव होता है?
४) संयोग काल क्या है?
५) संयोग काल में क्या करना चाहिए?
६) स्थाई ठिकाना कौन सा है?
७) जीवन का वास्तविक लक्ष्य क्या है?
८) जगत की सेवा से क्या लाभ मिलता है?
९) आत्मस्वरूप का बोध कैसे और कब होता है?
१०) विश्व प्रेम क्या है?
११) कौन अपने में विलीन हो जाएगा?
१२) गद्यांश के आधार पर शेष क्या रह जाएगा?
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- yah sansaar nashwar hai .
- sansaar me rehte hue uprokt kathan ko nhin bhulana chahiye.
- jab jagat ka samast drishya ojhal ho jata tha tatha isse sabandh tut jate to viyog hota hai
- jab jagat se sanbandh juda ho to viyog ka sanyong kaal kehlata hai
- sanyog kaal me seva ko apna kar apne me thehrav lana chahiye .
- jagat ke paar sthaayii thikaanaa hai
i didn't found the 7/8/9/10th ans if any one got that then plz reply me I'll wait
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