Hindi, asked by chamarsinghyadav455, 1 month ago

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द्रव्यमान क्षति किसे कहते हैं ? निम्नतम अवस्था में नाभिक का द्रव्यमान सदैव उनके
घटक न्यूट्रॉनों और प्रोटॉनों के द्रव्यमान के योग से कम होता है। कारण बताइए।
font? At ground state mass of a nucleus is always​

Answers

Answered by prakashakash802
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Explanation:

नाभिक का वास्तविक द्रव्यमान उसमें उपस्थित प्रोटॉनों तथा न्यूट्रॉनों के द्रव्यमानों के योग से सदैव कुछ कम होता है। द्रव्यमानों का यह अन्तर द्रव्यमान क्षति (mass defect) कहलाता है।

द्रव्यमान क्षति = (प्रोटॉनों का द्रव्यमान + न्यूट्रॉनों का द्रव्यमान) – नाभिक का द्रव्यमान

माना किसी परमाणु B की द्रव्यमान संख्या A तथा परमाणु क्रमांक Z है, तो इसके नाभिक में प्रोटॉनों की संख्या Z तथा न्यूट्रॉनों की संख्या (A – Z) होगी। यदि प्रोटॉन का द्रव्यमान mp न्यूट्रॉनों का द्रव्यमान mn एवं नाभिक का द्रव्यमान M हो, तो द्रव्यमान क्षति Δm = [Zmp + (A -Z)mn]- M द्रव्यमान क्षति Δm को अर्थ है कि जब प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन मिलकर नाभिक का निर्माण करते हैं तो Δm द्रव्यमान लुप्त हो जाता है तथा इसके तुल्य ऊर्जा (Δm) c² मुक्त हो जाती है। इस ऊर्जा के कारण ही प्रोटॉन व न्यूट्रॉन नाभिक में बंधे रहते हैं। इसे नाभिक की बन्धन ऊर्जा कहते हैं।

 बन्धन ऊर्जा तथा नाभिक के स्थायित्व में सम्बन्ध:

किसी नाभिक की प्रति-न्यूक्लिऑन बन्धन ऊर्जा जितनी अधिक होती है वह उतना ही अधिक स्थायी होता है।

Answered by vandanasingh08252
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Answer:

first answer is brainlist

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