12. विदेश में स्थित अपने पत्र-मित्र को होली की विशेषताओं का उल्लेख करते हुए पत्र लिखिए।
1/आपके चाचा जी लोकसभा चुनाव जीत
गए हैं। मतदाताओं की अपेक्षाओं में खरे उतरने की कामना करते हुए उन्हें बधाई
पत्र लिखिए।
OC
Answers
विदेश में स्थित अपने पत्र-मित्र को होली की विशेषताओं का उल्लेख करते हुए पत्र लिखिए।
न्यू शिमला सेक्टर-1
शिमला
171001
प्रिय कृष्ण ,
हेलो कृष्ण कैसे हो | आशा करता हूँ तुम , विदेश में सुरक्षित होगें| तुम हमेशा से विदेश में रहे हो| आज मैं तुम्हें पत्र के माध्यम से होली की विशेषताओं के बारे में करना चाहता हूँ| होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। होली रंगों का त्यौहार है| होली का त्यौहार सभी के जीवन मे बहुत सारी खुशियां और रंग भरता है,यह लोगों के बीच एकता और प्यार लाता है।सभी लोग इस दिन आपस में एक दूसरे को रंग लगाते है| होली वाले दिन सब एक जैसे लगते है, सब समान रंगों में बिखरे हुए देखकर बहुत मज़ा आता है | होली का त्यौहार मुझे बहुत अच्छा लगता है |
इस बार तुम होली के त्यौहार के लिए भारत जरुर आना| मिलकर होली बनाएंगे| अपना ध्यान रखना| तुम्हारे पत्र का इंतजार करूंगा|
तुम्हारा दोस्त ,
अजय |
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आपके चाचा जी लोकसभा चुनाव जीत गए हैं। मतदाताओं की अपेक्षाओं में खरे उतरने की कामना करते हुए उन्हें बधाई पत्र लिखिए।
1318, विकास नगर,
शिमला|
दिनांक 19 जून , 2019
नमस्ते चाचा जी ,
नमस्ते चाचा जी| आशा करता हूँ आप सब सुरक्षित होगें| हम सब भी यहाँ पर सुरक्षित है| कल ही मुझे पिता जी ने लोकसभा चुनाव जीत की सूचना दी| मैं आपको लोकसभा चुनाव की जीत के लिए बहुत बधाई देना चाहता हूँ| मेरी तरफ से आपको और सारे परिवार को बहुत बधाई| मैं आपके आने वाले समय में मतदाताओं की अपेक्षाओं में खरे उतरने की कामना करता हूँ| मुझे आप पर पूरा भरोसा आप अच्छे काम और सभी की जरूरतों का ध्यान रखोगे| अपना ध्यान रखना|
आपका भतीजा ,
मोहित|
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स्वास्थ्य ठीक रखने के लिए अपने चाचा जी को पत्र लिखिए
Answer:
पुनीत, पुंज
'पुंजभवन'
बी-31, राजेंद्र नगर अमृतसर (पंजाब)
प्रिय जोसेफ
मधुर स्मृति एवं स्नेह
आशा है तुम पूर्णतः स्वस्थ एवं प्रसन्नचित्त होओगे। पिछले पत्रों में मैंने तुम्हें हमारे देश में मनाए जाने वाले त्योहार के बारे में बताया था। इस पत्र में मैं तुम्हें होली के त्योहार के बारे में बता रहा हूँ। होलो को रंगों का त्योहार कहा जाता है। ऐसा रंग-बिरंगा उल्लास भरा त्योहार दुनिया के किसी भी देश में शायद
जाता हो। यह त्योहार फाल्गुन मास में मनाया जाता है जो मार्च के महीने में होता है। इस त्योहार के पीछे एक पौराणिक कथा है। प्राचीन काल में हमारे देश में हिरण्यकशिपु नाम का एक दैत्य राजा था जो बहुत बलशाली था। उसने तपस्या करके अनेक वरदान प्राप्त कर लिए थे जिन्हें प्राप्त करके वह नास्तिक हो गया था। उसने आत राज्य में ईश्वर भक्ति की मनाही कर दी थी। वह चाहता था कि लोग उसकी पूजा करें। दैत्यराज का इकलौता पुत्र प्रहलाद ईश्वर का परम भक्त था। दैत्यराज ने अपने पुत्र को ईश्वर की भक्ति करने से रोकने के
बहुत-से प्रयत्न किए, मगर प्रह्लाद न माना। विवश होकर उसने अपने पुत्र की हत्या करने की चेष्टा की, मगर वह उसमें
भी सफल न हो पाया। दैत्यराज की एक बहन थी जिसका नाम होलिका था। उसे यह वरदान प्राप्त था कि वह अग्नि में नहीं जलेगी। अपने भाई के कहने पर वह प्रहलाद को लेकर आग में बैठ गई, पर हुआ उलटा होलिका जल गई और प्रहलाद यहाँ भी बच गया। इसी घटना की याद में होलिका दहन किया जाता है। लकड़ियों के एक ढेर में होली के दिन आग लगाई जाती है। इस स
को होली के त्योहार से पंद्रह दिन पूर्व रखा जाता है। इसकी पूजा की जाती है।
इसके अगले दिन फाग खेला जाता है। इस दिन सब लोग एक-दूसरे पर रंग लगाते हैं और गुलाल लगाते हैं। वे एक दूसरे
के गले मिलते हैं। इस अवसर सब लोग छोटे-बड़े, अमीर-गरीब आदि का भेदभाव भूलकर नाचते-गाते, एक दूसरे को
गुलाल लगाते मस्ती करते हैं। यह कार्यक्रम दोपहर तक चलता है। दोपहर के बाद लोग नहा धोकर, नए वस्त्र पहनकर अपने मित्रों और संबंधियों के घर जाते हैं और मिठाई खाते-खिलाते हैं। मेरी इच्छा है कि अगले वर्ष तुम मार्च के महीने में भारत आओ तथा इस रंग-बिरंगे उत्सव का आनंद लो। तुम्हारा अभिन्न मित्र
पुनीत पुंज