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खण्ड-'क'
अधोलिखित अपठित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर इन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर
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संगठन व्यवहार (Organizational behavior) संगठनों के अन्तर्गत ‘मानवीय व्यवहार‘ का अध्ययन है। सामान्य शब्दों में संगठनात्मक व्यवहार से तात्पर्य संगठन में कार्यरत व्यक्तियों के व्यवहार के अध्ययन से है। संगठनात्मक व्यवहार में अध्ययन किया जाता है कि व्यक्ति संगठन मे ‘क्या‘ तथा ‘क्यो‘ करते है तथा उनके व्यवहार का संगठन के कार्यों पर कैसा प्रभाव होता है। वस्तुतः संगठन में तीन प्रकार के मानवीय व्यवहार देखे जा सकते है:-
1. अन्तः वैयक्तिक व्यवहार - अन्तः वैयक्तिक व्यवहार कर्मचारियों का स्वंय का व्यवहार होता है जो उनके व्यक्तित्व, प्रवृत्तियों, अवबोध, अभिप्रेरणा, अपेक्षा तथा आन्तरिक भावनाओं के फलस्वरूप प्रकट होता है।
2. अन्तर्वेयक्तिक व्यवहार - दो व्यक्तियों या दो से अधिक व्यक्तियों (समूह) के मध्य होने वाली पारस्परिक क्रियाओं के फलस्वरूप उत्पन्न व्यवहार को अन्तर्वेयक्तिक व्यवहार कहा जाता है। यह व्यवहार समूह गतिशीलता, अर्न्तसमूह संघर्ष, नेतृत्व, सम्प्रेषण आदि के रूप में प्रकट होते है।
3. संगठन व्यवहार - इसमें संगठन की औपचारिक संरचनाओं तथा अनौपचारिक समूहों के व्यवहार को शामिल किया जाता है। संगठनात्मक व्यवहार में उपर्युक्त तीनों प्रकार के व्यवहार एवं उसके प्रभावों तथा संगठन के आन्तरिक एवं बाह्य वातावरण के प्रभावों का अवलोकन, अध्ययन एवं नियन्त्रण किया जाता है।
निष्कर्ष यह है कि संगठनात्मक व्यवहार संगठनो में एकाकी व्यक्तियों एवं समूहो के व्यवहार, संगठन संरचना, तकनीकों एवं वातावरण की विशेषताओं के आपसी प्रभावों के अध्ययन से सरोकार रखता है। संगठनात्मक व्यवहार संगठन में व्यक्तियों तथा समूहों के व्यवहार तथा उसका संगठन पर प्रभावों का अध्ययन करने तथा इससे प्राप्त जानकारी से उनके भावी व्यवहार का पूर्वानुमान करने तथा नियंत्रण करने से सरोकार रखता है। इस प्रकार संगठनात्मक व्यवहार संगठन में कार्यारत व्यक्तियों, समूहों तथा संगठन के विभिन्न घटकों के व्यवहार तथा उनसे उत्पन्न प्रभावों तथा वातावरण के साथ उनकी अन्तक्रियाओं का अध्ययन है ताकि इस ज्ञान से संगठन को प्रभावी एवं उद्देश्यपरक बनाया जा सके।