13. बादलों की माला किसके सम्मुख नृत्य करती है ? {अ} चंद्रमा {ब} सूर्य {द} कोई नहीं {स} समुद्र Pls answer me
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सही उत्तर है...
➲ {ब} सूर्य
✎... बादलों की माला सूर्य के सम्मुख नृत्य कर रही है। रामनरेश त्रिपाठी द्वारा रचित ‘पथिक’ कविता में कवि कहते हैं..
प्रतिदिन नूतन वेश बनाकर, रंग-बिरंग निराला।
रवि के सम्मुख थिरक रही है नभ में वारिद-माला।
अर्थात प्रकृति हर क्षण वेश बदल रही है और ऐसा दिखाई देता है कि बादलों की माला सूर्य के सामने नृत्य कर रही हो। कवि कहना चाहते हैं कि प्रकृति परिवर्तनशील है और हर क्षण बदल रही है। आकाश में उमड़ते बादल सूर्य के सामने पंक्ति में ऐसे दिखाई दे रहे हैं, जैसे वह सूरज के सामने नृत्य कर रहे हों।
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Samudhr
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