13. गृहस्थ जीवन के संस्कार का नाम क्या था ?
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गृहस्थ जीवन के संस्कार का नाम क्या था ?
विवाह संस्कार
गृहस्थ जीवन के संस्कार का नाम विवाह संस्कार था|
विवाह संस्कार के पारिवारिक एवं सामूहिक प्रयोग सफल और उपयोगी माना जाता है| विवाह संस्कार हमारे धर्मशास्त्रों में भी मुख्य रूप से सोलह संस्कारों में से एक है| विवाह हमारे समाज में दो परिवारों के मिलन को कहा जाता है| विवाह दो लोग को आपस में जोड़ता है|
HELLO DEAR,
विवाह को गृहस्ती जीवन का संस्कार माना जाता है।
विवाह का मतलब होता है दो परिवारों में एक संबंध का निर्माण होना। इससे दो परिवारों में अपनेपन का संबंध होता है। जोकि विवाह के द्वारा ही संभव हो पाता है। इसीलिए विवाह को गृहस्थ जीवन का संस्कार माना जाता है।
हिंदू धर्म में सोलह संस्कारों का उल्लेख किया जाता है जो मानव को उसके गर्भाधान संस्कार से लेकर अंत्येष्टि क्रिया तक किए जाते हैं। इनमें से विवाह यज्ञोपवीत इत्यादि संस्कार बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं। वर्तमान समय में सनातन धर्म हिंदू धर्म के अनुयाई में गर्भाधान से मृत्यु तक 16 संस्कार होते हैं।
१) गर्भाधान
२) पुंसवन
३) सीमंन्तोश्रयन
४)) जातकर्म
५) नामकरण
६) निष्क्रमण
७) अश्रपृरसन
८) चूड़ाकर्म
९) विघारंभ
१०) कर्णवेध
११) यज्ञोपवीत
१२) वेदरंभ
१३) केशांत
१४) समावर्तन
१५) विवाह
१६) अंत्येष्टि
यह है 16 संस्कार।