Hindi, asked by atifaiqbal009, 7 months ago

(13) हाय राम कैसे झेलें हम अपनी लज्जा अपना शोक ।
गया हमारे हाथों से अपना राष्ट्रपिता परलोक ||​

Answers

Answered by panwaranjali9185
5

Answer:

इसमे शोक की अनुभूति हुयी है |

अर्थात जहा पुनः मिलने की आशा समाप्त हो गयी हो वही करुण रश की अनुभूति भी होती है |

Answered by shishir303
1

हाय राम कैसे झेलें हम अपनी लज्जा अपना शोक।

गया हमारे हाथों से अपना राष्ट्रपिता परलोक।।

रस बतायें ?

रस : करुण रस

व्याख्या :

जिस व्यक्ति के मन में रति करुणा, शोक विभिन्न भाव उत्पन्न होते हैं, तो वहाँ पर करुण रस प्रकट होता है। करुण रस का स्थाई भाव करुणा, दुख, शोक, रति आदि है। किसी प्रियजन के विरह, वियोग या मृत्यु से जो भाव उत्पन्न होते हैं वह करुण रस की उत्पत्ति करते हैं। रति के भाव में उत्पन्न वियोग भी करुण रस प्रकट करता है।

उपरोक्त पंक्तियों में भी करुणा के भाव प्रकट हो रहे हैं, इसलिये इन पंक्तियों में ‘करुण रस’ है।

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