13. कक्षा में पर्याप्त प्रकाश व हवा की समुचित व्यवस्था के संदर्भ में प्रधानाचार्य को प्रार्थना-पत्र लिखिए।
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मनुष्य सामाजिक प्राणी है। वह अपने निकट संबंधियों का दुख-सुख जानने का इच्छुक रहता है। इसके लिए वह पत्रों का सहारा लेता आया है। पत्र-लेखन एक विशिष्ट कला है। यह हमारे विचारों के आदान-प्रदान का एक सरल और सशक्त माध्यम है। यह लेखन की अन्य विधाओं से भिन्न है क्योंकि पत्र-लेखन किसी मित्र, निकट संबंधी, अधिकारी, कर्मचारी या संस्था प्रमुख को संबोधित करके लिखा जाता है। इसमें लेखक और पाठक के बीच कुछ-न-कुछ संबंध भी रहता है।
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ᴇʟᴏ!!
ʏᴀʟʟ ᴋᴏɪ ᴍᴇʟᴀ ғʀɴᴅ ʙᴀɴᴊᴀᴏ ɴᴀ ᴘʟɪᴄʜʜ
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