13) मारवाड़ में वीरता, साहित्य, सेवा के लिए "सिरोपाव' देने की परम्परा रही थी, सर्वोच्च सिरोपाव था
1) पालकी सिरोपाव
2) हाथी सिरोपाव
3) घोड़ा सिरोपाव
4) कड़ा दुशाला सिरोपाव
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सर्वोच्च सिरोपाव को "पालकी सिरोपाव" कहा जाता था |
मारवाड़ का सिरोपाव परम्परागत रूप से राजस्थान के राजघरानों में दी जाने वाली ऊंची उपलब्धि थी। इस परंपरा के अनुसार, सिरोपाव का अर्थ होता है "सम्मान का तोहफा" जो वीरता, साहित्य और सेवा के लिए प्रदान किया जाता था। सिरोपाव देने का प्रथम उल्लेख महाराणा प्रताप के समय से होता है।
- सर्वोच्च सिरोपाव को "पालकी सिरोपाव" कहा जाता था, जिसे देने का सम्मान अत्यंत उच्च था।
- हाथी सिरोपाव भी अत्यंत महत्वपूर्ण था, जिसे देने का मतलब था कि व्यक्ति राजा के साथ सेना में लड़ाई कर रहा था।
- घोड़ा सिरोपाव भी बहुत महत्वपूर्ण था, जिसे देने का मतलब था कि व्यक्ति राजा की सेवा में अपना समय दे रहा था।
- कड़ा दुशाला सिरोपाव उस व्यक्ति के लिए दिया जाता था जो राजा की सेवा में अपनी जान दे रहा था।
इस प्रकार, सिरोपाव परंपरा में बहुत महत्वपूर्ण होता था और इसे देने का सम्मान बहुत उच्च था। यह सिरोपाव वह उपलब्धि थी जिसे लोग प्राप्त करने के लिए बहुत सम्मान के साथ काम करते थे। इस मान्यता के जरिए, सामाजिक समूह अपने वीरता, साहित्य और सेवा के क्षेत्र में उत्कृष्टता प्रदर्शित करते थे। इस परंपरा ने लोगों में संस्कार, उत्साह और समाजसेवा की भावना का विकास किया।
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