13। 'मुसीवत में ही मित्र की परख होती है' विषय पर अनुच्छेद लिखो।
26.
himanshu25734:
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एक सच्चा मित्र मुसीबत में काम आता है। वह कठिनाई के दिनों में भी साथ नहीं छोड़ता है। रहीम दास जी ने कहा है, "रहिमन विपदा हु भली जो थोड़े दिन होए, हित अनहित या जग में जानि पड़त सब कोई।" वे कहते हैं कि थोड़े दिनों का कष्ट अच्छा है क्योंकि उस समय हम अपने असली मित्र को पहचान सकते हैं। ऐसा देखा जाता है कि सुख के समय जब व्यक्ति के पास धन, समाज में मान, अच्छी नौकरी, सकुशल परिवार होता है तो उसके अनेक मित्र होते हैं। पर जैसे ही उसके पास धन का अ भाव होता है या उसके बुरे दिन होते हैं, सभी मित्र जो सिर्फ नाम के मित्र थे उसे छोड़ देते हैं। जैसे जबतक तालाब में पानी रहता है अनेक मेढक उसके पास मंडराते रहते हैं और पानी सूखने पर तालाब को छोड़कर अन्य किसी जगह चले जाते हैं।
एक अच्छा मित्र सही सलाह देता है और हमें गलत रास्ते पर जाने से रोकता है। वह सुख दुःख का साथी होता है। सिर्फ सुख में साथ देने वाले व्यक्ति, असली मित्र नहीं होते हैं। सच्चा मित्र दुःख में सहायता करता है। हम उस पर भरोसा कर सकते हैं। इसलिए मुसीबत मैं ही मित्र की परख होती है।
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