13 'ताहि अहीर की छोहरियाँ छछिया भरि छाछ पै नाच नचावत' के काव्य सौन्दर्य को स्पष्ट कीजिए।
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Explanation:
ताहि अहीर की छोहरियाँ छछिया भरि छाछ पै नाच नचावत' के काव्य सौन्दर्य को स्पष्ट कीजिए।
Answer:
इन पंक्तियों-'ताहि अहीर की छोहरियाँ छछिया भरि छाछ पै नाच नचावत' का काव्य सौंदर्य इस प्रकार है-
- इन पंक्तियों में भक्ति की पराकाष्ठा प्रकट हुई हैं।
- गोपिया कृष्ण के प्रेम आसक्त होकर उनके मुट्ठी भर मट्ठे के लिये नाच नचा रही हैं।
- जब भक्त भगवान के रूप लावण्य पर आसक्त होकर अपनी भक्ति को रूप-लावण्य केंद्रित होता है, तो वहाँ रूपासक्ति प्रकट होती है।
Explanation:
‘गोपियों का निश्छल प्रेम’ , जिसके कारण भगवान कृष्ण गोपियों के इशारे पर नाचते हैं।
'ताहि अहीर की छोहरियाँ छछिया भरि छाछ पै नाच नचावत'
उपरोक्त पंक्तियाँ सुप्रसिद्ध कवि रसखान द्वारा रचित सवैया हैं।
जिस कृष्ण के गुणों का गुणगान गुनिजन, अप्सरा, गंर्धव और स्वयं नारद और शेषनाग सभी करते हैं। गणेश जिनके अनन्त नामों का जाप करते हैं, ब्रह्मा और शिव भी जिसके स्वरूप की पूर्णता नहीं जान पाते, जिसे प्राप्त करने के लिये योगी, यति, तपस्वी और सिध्द निरतंर समाधि लगाए रहते हैं, फिर भी उस परब्रह्म का भेद नहीं जान पाते। उन्हीं के अवतार कृष्ण को अहीर की लडक़ियाँथोड छाछ के कारण दस बातें बनाती हैं और नाच नचाती हैं ।
कवि रसखान की मुख्य रचनाएँ:
- 'सुजान रसखान'
- 'प्रेमवाटिका'