13. वाक्यानि कर्मवाच्ये परिवर्त्य लिखत-
(क) अहं पुस्तकं पठामि।
(ख) बालकः फलं खादति ।
(ग) त्वम् लेखं लिखसि ।
(घ) सः फलानि खादति।
(ङ) बालिकाः शिक्षकान् नमन्ति ।
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द्वितीय विभक्ति का प्रयोग
1. कर्म हमेशा कर्मकारक (द्वितीया विभक्ति) में रहता है। जैसे
(क) मैं फल खाता हूँ। (अहं फलं खादामि।)
(ख) मैं जल पीता हूँ। (अहं जलं पिबामि।)
2. जिस स्थान को जाते हैं, वह कर्मकारक (द्वितीया) में रहता है। जैसे
(क) रामः वनम् अगच्छत्। (राम वन गये।)
(ख) वयं विद्यालयं गच्छामः। (हम विद्यालय जाते हैं।)
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