14. अत्र,तत्र, यावत्, सह इत्यादयः शब्दाः कथ्यते- (ब) अव्ययाः अ) सर्वनाम (स) संज्ञा द विशेषण
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Explanation:
नफरत करना नहीं किसी से, प्यार सभी से करना जी,
तूफाँ तो आते रहते हैं, इनसे भी क्या डरना जी ।
हिम्मत करनेवालों को, मिलती मदद सब लोगों की,
सत्कर्मों की तूलिका से, जीवन में रंग भरना जी । हार-जीत का खेल है जीवन, खेल समझकर खेलो,
जो भी मिलता, हाथ बढ़ाकर, खुशी-खुशी तुम ले लो ।
जब तक जियो, हँसकर जियो इक दिन सबको जाना जी,
तूफाँ तो आते रहते हैं, इनसे भी क्या डरना जी । धूप-छाँव जीवन का हिस्सा, कभी उजाला, कभी अँधेरा,
रात हो चाहे जितनी लंबी, उसका भी है अंत सवेरा ।
समय एक-सा कभी न रहता, थोड़ा धीरज धरना जी,
तूफाँ तो आते रहते हैं, इनसे भी क्या डरना जी ।
देह-अभिमान के कारण, देखो कितनी महामारी है,
सबको सच्ची राह दिखाना, अपनी जिम्मेदारी है ।
आत्मज्ञान के दीप जलाकर, दूर अँधेरा करना जी,
तूफाँ तो आते रहते हैं, इनसे भी क्या डरना जी । समाज सेवी महिला की जीवनी पढ़कर प्रेरणादायी अंश चुनाे और बताओ ।
astra tatra yavat sah ittady