Hindi, asked by priyasharma19972908, 9 months ago

14. नागरिक चार्टर पर एक नोट लिखिए।
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Answered by Anonymous
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Answer:

नागरिकांची सनद - भारतीय अनुभव

मूलभूत संकल्पना , मूळ आणि सिद्धांत

आर्थिकदृष्ट्या आणि सामाजिक दृष्टिकोनातून शाश्वत विकासासाठी सुशासन आवश्यक आहे ही जगभरात एक स्वीकारलेली वस्तुस्थिती आहे . सुशासनातील तीन आवश्यक बाबी म्हणजे पारदर्शकता , उत्तरदायित्व आणि प्रशासनाची प्रतिक्रिया यावर भर देणे. नागरिकांना सार्वजनिक सेवा पुरविणार्‍या संस्थांशी संपर्क साधून दिवसेंदिवस येणा that्या अडचणी सोडवण्याचा प्रयत्न म्हणजे सिटीझन चार्टर.

सिटीझन चार्टरची संकल्पना सेवा प्रदाता आणि वापरकर्त्याच्या दरम्यान विश्वास स्थापित करणे आहे. वरील संकल्पना प्रथम 1991 मध्ये युनायटेड किंगडमच्या जॉन मेजरच्या कंझर्व्हेटिव्ह गव्हर्नरमध्ये उदयास आली आणि सामान्य उद्दीष्टेसह राष्ट्रीय कार्यक्रम म्हणून अंमलात आणली गेली: देशातील लोकांसाठी सार्वजनिक सेवांची गुणवत्ता सुधारण्यासाठी जेणेकरून या सेवा वापरकर्त्यांच्या गरजा आणि इच्छा भागविण्यासाठी . टोनी ब्लेअरच्या कामगार सरकारने 1998 साली ' सर्व्हिस फर्स्ट ' म्हणून हा प्रोग्राम पुन्हा सादर केला .

Answered by hearthackergirl35
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Explanation:

नागरिक चार्टर –

संपूर्ण विश्व में यह सर्व स्वीकृत तथ्य है कि आर्थिक और सामाजिक दोनों के स्थायी विकास के लिए सुशासन अनिवार्य है । सुशासन में तीन अनिवार्य पहलुओं पारदर्शिता, जवाबदेही और प्रशासन की प्रतिक्रियाशीलता पर बल दिया गया है । नागरिक चार्टर उन समस्याओं का समाधान करने का एक प्रयास है जिनका सामना लोक सेवाएं प्रदान करने वाले संगठनों से संपर्क करते हुए दिन-प्रति दिन नागरिक को करना पड़ता है ।

नागरिक चार्टर की अवधारणा सेवा प्रदाता और इसके प्रयोक्ता के मध्य विश्वास स्थापित करना है । उक्त अवधारणा सर्वप्रथम यूनाइटेड किंग की जान मेजर की कंजर्वेटिव सरकार में वर्ष 1991 में मूर्त रूप में आई और एक राष्ट्रीय कार्यक्रम के रूप में कार्यान्वित की गई जिसका सामान्‍य लक्ष्य था : देश के लोगों के लिए लोक सेवाओं की गुणवता में निरंतर सुधार करना ताकि यह सेवाएं प्रयोक्ताओं की आवश्यकताओं और इच्छाओं के अनुरूप बन सके । इस कार्यक्रम को वर्ष 1998 में टोनी ब्लेयर की लेबर सरकार ने ‘सर्विस फर्स्ट’ नाम से पुन: आरंभ किया ।

नागरिक चार्टर का मूल उद्देश्य लोक सेवा प्रदायगी के संदर्भ में नागरिक को सशक्त बनाना है । नागरिक चार्टर आंदोलन में मूल रूप से छह सिद्धांत तैयार किए गए थे (i) गुणवत्ता :सेवा की गुणवत्ता में सुधार करना, (ii) विकल्प : जहां कहीं संभव हो; (iii) मानक : बताएं कि क्या प्रत्याशा है तथा किस प्रकार प्रतिक्रिया करे, यदि मानक पूरे नहीं हों; (iv) मूल्य; करदाताओं के धन के संदर्भ में; (v) जवाबदेही : वैयक्तिक और संगठन तथा पारदर्शिता : नियमावली/प्रक्रियाएं/स्कीमें/शिकायत । इन्हें लेबर सरकार ने बाद में सेवा प्रदायगी के निम्नलिखित नौ सिद्धांतों के रूप में विस्तारित किया (1998) : सेवा का मानक निर्धारित करना;उदार होना और पूरी सूचना देना; परामर्श करना तथा सहभागी बनाना; पहुंच को प्रोत्साहित करना व विकल्प को बढ़ावा देना; सभी के साथ निष्प‍क्षता का व्यवहार; अव्यवस्था होने पर प्रणाली को व्यवस्थित करना; संसाधनों का कुशलतापूर्वक उपयोग; नवाचार और सुधार; अन्य प्रदाताओं के साथ कार्य करना

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