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14 प्रेम एक परम सौंदर्यपूर्ण सुनहली अनुभूति है। इसकी कोई व्याख्या नहीं है। बस, इसका होना ही पर्याप्त है, पर अनुभव को अभिव्यक्त करने के लिए इसे वाणी में या शब्दों में उतारना पड़ता है। इसे उकेरा तो नहीं जा सकता है, हाँ इसकी झीनी-सी एक झलक-झाँकी देखी-दिखाई जा सकती है। अनुभव करने वाले जानते हैं कि प्रेम सार्वकालिक, सर्वव्यापी और अपनी मूल प्रकृति में मंगलकारी भी है। इसकी ऊर्जा अनंत, अक्षत एवं अक्षय है। प्रेम जब जीवन में प्रवेश करता है, तब सारी दिशाएँ मुस्कराहट से भर उठती हैं, शिराओं में उत्साह एवं उमंगें हिलोरें लेने लगती हैं। प्रेम ने बहुतों के जीवन का रुख बदल दिया। किसी को कविता
की राह दिखाई तो कोई क्रांति व कला के रास्ते पर चल निकला। प्रेम एक अनबूझ पहेली है। पहेली इसलिए कि इसकी कोई तर्कसंगत विवेचना नहीं है। यह एक जादुई एहसास है, जो जिंदगी की हर धुन को और मधुर बना देती है। शेक्सपियर के शब्दों में 'प्रेम भाग्यवश होता है' क्योंकि यह शरीर का नहीं आत्मा का मिलन है। प्रतिदान नहीं सर्वस्व समर्पण है।
[CBSE 2014]
प्रश्न-(क) प्रेम की व्याख्या क्यों नहीं की जा सकती?
(ख) प्रेम को अनुभव करने वालों ने इसे कैसा बताया है?
(ग) प्रेम के जीवन में प्रवेश करने पर क्या परिवर्तन आता है?
(घ) प्रेम ने लोगों के जीवन का रुख कैसे बदल दिया?
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(क)भी मेट अनुभूति है इसे अनुभव किया जा सकता है किंतु शब्दों में नहीं बांधा जा सकता अनुभूतियां आकार हिना होती है वह शब्दों से भी परे होती हैं यही कारण है कि प्रेम को व्यक्त नहीं किया जा सकता ।
(ख)प्रेम का अनुभव करने वाले बताते हैं कि प्रेम सर्वकालिक सर्वव्यापी और मंगलकारी है इसकी वजह अनंत है अक्षय है यह जिसके भी जीवन में प्रवेश करता है उसके जीवन में आनंद ही बस वर्षा हो जाती है ।
(ग)प्रेम के जीवन में प्रवेश होने पर सारी दिशाएं मुस्कुराहट से भर जाती है शिराओं में उत्साह और उमंग से लोन लेने लगती है ।
(घ)प्रेम ने बहुत से लोगों को कविता की राह दिखाई तो किसी को कला या फिर आती इससे मार्ग पर चला दिया चीन के कारण अनेक लोग की जीवन आनंद कारी मंगलमय बन गए ।
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14 प्रेम एक परम सौंदर्यपूर्ण सुनहली अनुभूति है। इसकी कोई व्याख्या नहीं है। बस, इसका होना ही पर्याप्त है, पर अनुभव को अभिव्यक्त करने के लिए इसे वाणी में या शब्दों में उतारना पड़ता है। इसे उकेरा तो नहीं जा सकता है, हाँ इसकी झीनी-सी एक झलक-झाँकी देखी-दिखाई जा सकती है। अनुभव करने वाले जानते हैं कि प्रेम सार्वकालिक, सर्वव्यापी और अपनी मूल प्रकृति में मंगलकारी भी है। इसकी ऊर्जा अनंत, अक्षत एवं अक्षय है। प्रेम जब जीवन में प्रवेश करता है, तब सारी दिशाएँ मुस्कराहट से भर उठती हैं, शिराओं में उत्साह एवं उमंगें हिलोरें लेने लगती हैं। प्रेम ने बहुतों के जीवन का रुख बदल दिया। किसी को कविता
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