14 प्रश्नपत्रे
प्रश्नपत्रे समागतान् श्लोकान् विहाय स्वपाठ्यपुस्तकात् सुभाषितद्वयं लिखत ।
प्र.15 मातृभाषया आशयं (भावार्थं) स्पष्टीकुरूत -
सत्यस्य वचनं श्रेयः सत्यादपि हितं भवेत् ।
यद्भूतहितमत्यन्तमेतत् सत्यं मतं मम ।।
अथवा
नास्ति सत्यसमो धर्मो न सत्याद्विद्यते परम् ।
न हि तीव्रतरं किञ्चिद् अनृतादिह विद्यते ।।
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सत्यस्य वचनं श्रेयः सत्यादपि हितं भवेत् ।
यद्भूतहितमत्यन्तमेतत् सत्यं मतं मम ।।
भावार्थं : सत्य वचन बोलना श्रेयस्कर है , सत्य बोलना ही सबसे श्रेठ है | हमें ऐसा सत्य बोलना चाहिए जिससे सबका कल्याण हो | सत्य बोलने से ही सबका कल्याण होता है | सत्य में इतनी ताकत होती है कि वह सबका कल्याण करता है | जो बाते सबका कल्याण करती है , वही बात सत्य होती है | जीवन में हमेशा सत्य के मार्ग को अपनाना चाहिए |
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